World Teachers Day: शिक्षक, जो विद्यार्थियों की शिक्षा के लिए उत्तरदाई हो और शिक्षक की गरिमा यानि शिक्षकों को सम्मान। जो उनके काम के महत्व एवं उस कार्य को पूरा करने की दक्षता की प्रशंसा से प्रदर्शित होता है। साथ ही कार्य करने की स्थितियां, पारिश्रमिक तथा अन्य सभी भौतिक लाभ जो कि उन्हें अन्य व्यावसायिक समूहों की तुलना में प्राप्त होते हैं। सभी शिक्षकों के लिए लागू होने वाली यह अंतरराष्ट्रीय अनुशंसाएं सरकार और समाज दोनों के लिए हैं।
यह अनुभव किया जाना चाहिए कि शिक्षकों की उचित प्रतिष्ठा एवं समाज द्वारा शिक्षण व्यवसाय के प्रति उचित सम्मान शिक्षण के उद्देश्यों की पूर्ति के लिए विशेष सहायता करते हैं। वास्तव में शिक्षकों के काम करने की दशाएं ऐसी होनी चाहिए जो प्रभावी शिक्षण को बढ़ाएं और शिक्षकों के ध्यान को उनके व्यावसायिक कार्यों पर केन्द्रित करने में सहायक हो क्योंकि शिक्षण लोक सेवा है जो शिक्षकों में ऐसे ज्ञान और विशिष्ट कौशल की अपेक्षा रखती है जो कठिन और सतत अध्ययन के द्वारा प्राप्त और निरंतर बनाए रखा गया हो।
शिक्षा एक सतत प्रक्रिया
शिक्षा एक सतत प्रक्रिया है। इस दृष्टि से शिक्षा सेवा के सभी अंगों को इस तरह समन्वित होना चाहिए कि वह बालकों के लिए शिक्षा का गुणात्मक विकास करने के साथ-साथ शिक्षक की स्थिति को भी सुधारे। व्यवसाय के लिए तैयारी, चयन, प्रशिक्षण, अध्यापन अभ्यास, शिक्षकों की शिक्षा, शिक्षण व्यवसाय में प्रवेश, विकास एवं पदोन्नति, सेवा सुरक्षा, चिकित्सकीय परीक्षण के साथ ही शिक्षकों के अधिकार और कर्तव्य की व्यावसायिक स्वतंत्रता के लिए इन सभी अनुशंसाओं में विस्तार से जानकारी दी गई है।
प्रस्तुत अनुशंसाओं में शामिल शिक्षकों के दायित्वों में कहा गया है कि सभी शिक्षकों को अपने व्यावसायिक कार्यों के यथा संभव उच्चतम मानदंड स्थापित करने के प्रयास करना चाहिए। शिक्षक संगठनों को शिक्षकों के लिए अपनाई जाने वाली आचार संहिता का निर्माण भी करना चाहिए।
यूनेस्को द्वारा आयोजित विश्व स्तरीय सम्मेलन में शिक्षकों के अधिकार के बारे में स्पष्ट किया गया है कि शिक्षकों को एक नागरिक के सभी नागरिक अधिकारों के उपभोग की पूर्ण स्वतंत्रता होनी चाहिए। उन्हें सार्वजनिक पद ग्रहण करने का भी अधिकार होना चाहिए और सार्वजनिक सेवा की अवधि समाप्त होने पर फिर से अपने पद ग्रहण करने की अर्हता प्राप्त होना चाहिए।
सुरक्षित हो शिक्षकों का अधिकार
शिक्षकों का वेतन एवं सेवा शर्तें शिक्षकों के नियोक्ताओं और शिक्षकों के संगठनों के मध्य चर्चा की प्रक्रिया द्वारा तय किया जाना चाहिए। शिक्षकों को अपने संगठनों के माध्यम से नियोक्ता से चर्चा करने का अधिकार सुरक्षित होना चाहिए। सभी तरह के विवादों के निपटारे के लिए उपयुक्त संयुक्त अभिकरण की स्थापना होनी चाहिए। यदि चर्चा के द्वारा विवाद निराकृत नहीं हो रहा है तो शिक्षक संगठनों को ऐसे कदम उठाने का अधिकार होना चाहिए जो शिक्षकों के वैध हितों की सुरक्षा के लिए जरूरी है। प्रभावी शिक्षण एवं सीखने की दशाएं, कक्षा का आकार, सहायक कर्मचारी, कार्य के घंटे, अध्ययन अवकाश, विशेष अवकाश, ग्रामीण एवं दूरस्थ क्षेत्रों में कार्यरत शिक्षकों हेतु विशेष प्रावधान, शिक्षकों का वेतन, समान सामाजिक सुरक्षा संरक्षण के प्रावधान, स्वास्थ्य रक्षा, अस्वस्थता लाभ, रोजगार अंतर्गत शारीरिक क्षति लाभ, वृद्धावस्था लाभ, निर्योग्यता लाभ, उत्तरजीवी लाभ, शिक्षकों को सामाजिक सुरक्षा प्रदान करने के साधन, शिक्षकों का अभाव के अंतर्गत बहुत सारे सुझाव प्रस्तुत किए गए हैं।
निर्णायक पहल की जरूरत
प्रस्तुत अनुशंसाओं में विस्तार से जानकारी दी गई है जिसे सभी को (शिक्षकों, शिक्षक संगठनों को और शिक्षकों के नियोक्ताओं को) पढ़ना-समझना चाहिए। शिक्षा अधिकारी वर्ग को यह विशेष रूप से अनुभव करना चाहिए कि शिक्षकों की आर्थिक एवं सामाजिक स्थिति में सुधार उनके रहन-सहन एवं कार्य की शर्तें और जीविकोपार्जन के आगामी अवसर, अनुभवी एवं सक्षम शिक्षकों की कमी को दूर करने एवं पूर्णत: योग्य व्यक्तियों को पर्याप्त मात्रा में शिक्षण व्यवसाय में आकर्षित करने और उसी में बनाए रखने के सर्वोत्तम साधन हैं।
आजादी के 78 वर्ष बाद शिक्षकों को उनके कार्य की स्वतंत्रता प्राप्ति हेतु अब निर्णयक पहल की जानी चाहिए। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में भी शिक्षकों को प्रकाश पुंज कहा गया है तो यह बहुत जरूरी है कि सरकार और समाज दोनों ही शिक्षकों के प्रति सहज रूप से ऐसे प्रावधान रखें कि वे देशभर में शिक्षा की गुणवत्ता को प्रोत्साहित कर सकें।
( लेखक NCERT के पूर्व सदस्य और शिक्षक संदर्भ समूह के संस्थापक समन्वयक हैं )