हाइलाइट्स
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सेहत पर संकट, जांच के लिए लैब नहीं
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14 में से सिर्फ 13 एक्ट में जुर्माने का प्रावधान
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जांच के लिए बाहर भेजने पड़ते हैं सैंपल
World Food Safety Day: आप जो बाजार से समोसे-कचौरी खाते या अन्य आइटम बड़े शौक से खाते हैं, वे सुरक्षित हैं या नहीं ये आप पता नहीं कर सकते हैं। क्योंकि इसकी जांच लैब है ही नहीं।
खाने में पेस्टिसाइड, हानिकारक बैक्टीरिया तो नहीं, ये जांचने के लिए पूरे मध्यप्रदेश में सरकारी माइक्रोबायोलॉजी लैब ही नहीं है। इसीलिए सिर्फ 0.01 प्रतिशत मामलों में ही मिलावटखोरों पर आपराधिक केस दर्ज हो पाते हैं।
ज्यादातर मामलों में सिर्फ होता है जुर्माना
ज्यादातर मामले जुर्माने से ही निपट जाते हैं। बता दें कि सैंपलिंग के बाद ज्यादातर मामलों में सिर्फ जुर्माना होता है, क्रिमिनल केस नहीं।
प्रदेश में फूड सैंपल जांचने के लिए एक ही सरकारी लैब है वो भी सिर्फ भोपाल में। उसमें भी सिर्फ खाद्य पदार्थो में मिनरल ऑयल (डीजल-पेट्रोल), नमक, मिलावटी कलर, नमी और राख आदि की मौजूदगी ही पता चल पाती है।
साल 2023 में भोपाल में करीब 1 हजार खाद्य पदार्थों के सैंपल लिए गए। इनमें से सिर्फ 6 मामले ही ऐसे थे जिनमें आपराधिक प्रकरण दर्ज हो सके।
इसके साथ ये भी सामने आया है कि इस लैब में तरल खाद्य पदार्थों की जांच होती ही नहीं है। इसके चलते खाद्य विभाग भोपाल समेत प्रदेश भर में पैक्ड फूड के ज्यादा सैंपल लेता है। खुले में सिर्फ मावा और उससे बने प्रोडक्ट की जांच की जाती है।
सेहत पर संकट, जांच के लिए लैब नहीं
भोपाल में सिर्फ एक सरकारी लैब है जिसमें खाद्य पदार्थों में मिलावटी रंग, नमक, नमी आदि की जांच होती है।
खाने में सेहत के लिए हानिकारक पदार्थ हैं या नहीं इसकी जांच के लिए सैंपल दूसरे प्रदेशों में भेजने पड़ते हैं।
हालांकि निजी लैब में जांच करवाई जा सकती है, लेकिन यह काफी महंगी होती है।
14 एक्ट में से सिर्फ 13 एक्ट में जुर्माने का प्रावधान
देशभर में (FSSAI) के अंतर्गत खाद्य विभाग कार्रवाई करता है। कुल 14 एक्ट में से सिर्फ 13 में जुर्माने का प्रावधान है।
सिर्फ अनसेफ फूड के एक्ट में आपराधिक केस होता है। इसके लिए खाद्य पदार्थ में पेस्टिसाइड और हानिकारक बैक्टीरिया की जांच जरूरी है।
मध्यप्रेदश में एक ही लैब है, जिसमें सिर्फ केमिकल की जांच होती है। यही वजह है कि खाना कितना हानिकारक और अनहेल्दी है, इसका पता नहीं लगाया जा सकता।
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