महिला समूहों को मिला रोजगार के अवसर, बैंक लिंकेज के रूप में करोड़ों रुपये की सहायता राशि

महिला समूहों को मिला रोजगार के अवसर, बैंक लिंकेज के रूप में करोड़ों रुपये की सहायता राशि

जगदलपुर: प्रदेश सरकार के दो साल पूरे हो गए इस दौरान बस्तर जिले में राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत महिला समूहों को आजीविका गतिविधि से जोड़कर उनके आर्थिक विकास के कार्य किया जा रहा है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के मंशा अनुरूप जिले की महिलाओं को आर्थिक रूप से सबल बनाने के स्व- सहायता समूहों के माध्यम से रोजगार के अवसर दिया गया।

महिला समूह बस्तर जिले के 7 विकासखण्ड के 400 गांव मे 40 हजार परिवार संवहनीय कृषि आधारित आजीविका गतिविधि के रूप में कतार विधि,श्रीविधि, साग सब्जी खेती, किचन गार्डन जैविक खाद् के माध्यम से किया जा रहा है। जिससे प्रति परिवार के द्वारा सब्जी का स्वयं उपयोग कर बाजार में बेची जाती है और इनसे परिवार को प्रति माह दो से 12 हजार तक आय प्राप्त करती है।

दो वर्ष में महिला समूहों का वित्तीय समावेश देखे तो विगत दो वर्षों मे रिवालिंग फण्ड 15 हजार रूपये के मान से 1807 समूह को 2 करोड़ 71 लाख रुपए दिये जा चुके है। सामुदायिक निवेश कोष में विगत दो वर्षों मे रिवालिंग फण्ड 60 हजार रूपये के मान से अब तक 610 समूहों 3 करोड़ 66 लाख 66 हजार रूपये दिया गया है। बैंक लिंकेज के तहत विगत दो वर्षों मे रिवालिंग बैंक लिंकेज प्रथम, द्वितीय, तृतीय डोज कुल 6510 समूह को कुल 123 करोड़ 09 लाख 20 हजार रू. बैकलिंकेज के रूप मे प्रदाय किये गये है अर्थात् कुल 129 करोड़ 46 लाख 91 हजार रूपये वित्तीय सहायता राशि प्रदाय किए गए है।

बकावंड की माँ वैभव लक्ष्मी समूह की गीता वैष्णव ने बताया की समूह से जुड़ने से पूर्व उसके पास घरेलू कार्य के अलावा कोई काम नहीं था, स्व सहायता समूह से जुड़ कर आचार, पापड़, बड़ी बनाने का काम करने लगी। इन उत्पादों का निर्माण घर से भी कर सकते है जिसे हम बाजार में बेचते है या कोई घर से भी ख़रीद सकता है यदि कोई इन उत्पादों का ऑर्डर देता है तो भी समूह द्वारा बनाया जाता है। इन सामग्रियों के बिक्री से हमें लागत से अधिक आमदनी हुई है।जिसे समूह के सभी सदस्यों को आर्थिक लाभ हुआ है इसके लिए शासन- प्रशासन का आभार।

इसी प्रकार ग्राम चितलूर की चंद्रिका ठाकुर ने बताया कि माँ लक्ष्मी स्व- सहायता समूह के द्वारा चैनलिंक फेंनसिंग पोल सामानों का निर्माण कर ग्राम पंचायत, स्कूल शिक्षा विभाग और अन्य प्राइवेट व्यक्तियों को बेचा जाता है । अब तक समूह द्वारा 135 क्विंटल तार बना कर लगभग 8 लाख 75 हजार रुपए की बिक्री किया गया है।

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