Facebook, Twitter and Instagram in India Update: सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर अब तलवार लटकती नजर आ रही है। दरअसल, फेसबुक, (facebook) ट्विटर (twitter) और इंस्टाग्राम (Instagram) लगातार डेटा प्राइवेसी को लेकर चर्चा में है। सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने नए नियमों का पालन करने के लिए सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म को तीन महीने की समय सीमा दिया था। 25 फरवरी से यह समयावधि शुरू हुई थी और आज यह समयावधि खत्म हो रही है।
गौरतलब है कि, केंद्र सरकार ने गत 25 फरवरी को फेसबुक (Facebook in India), इंस्टाग्राम (Instagram in India) और ट्विटर (Twitter in India) जैसी सोशल मीडिया कंपनियों के लिए ज्यादा कड़े नियमों की घोषणा की थी, जिसके तहत उन्हें अधिकारियों द्वारा रिपोर्ट की गयी सामग्री को 36 घंटे में हटाना पड़ेगा और भारत में कार्यरत किसी अधिकारी के साथ एक शिकायत निवारण तंत्र की स्थापना करनी पड़ेगी।
सूत्रों के अनुसार सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स ने अब तक नियमों को लागू नहीं किया है। लेकिन भारतीय माइक्रोब्लॉगिंग साइट Koo ने शनिवार को कहा कि उसने इस महीने के आखिर में निर्धारित समयसीमा से पहले डिजिटल मंच के लिए नए दिशानिर्देशों का पालन कर लिया है। लेकिन बाकी किसी सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म ने अभी तक ऐसा नहीं किया है।
सरकार ने सोशल मीडिया के लिए क्या गाइडलाइंस जारी की?
1. ये प्लेटफॉर्म ये भी बताएं कि शिकायत दर्ज करवाने की व्यवस्था क्या है। अधिकारी शिकायत पर 24 घंटे के भीतर ध्यान दें और 15 दिन के भीतर शिकायत करने वाले को बताएं कि उसकी शिकायत पर एक्शन क्या लिया गया और नहीं लिया गया तो क्यों नहीं लिया गया।
2. ऑटोमेटेड टूल्स और तकनीक के जरिए ऐसा सिस्टम बनाएं, जिसके जरिए रेप, बाल यौन शोषण के कंटेंट की पहचान करें। इसके अलावा इन पर ऐसी इन्फर्मेशन की भी पहचान करें, जिसे पहले प्लेटफॉर्म से हटाया गया हो। इन टूल्स के काम करने का रिव्यू करने और इस पर नजर रखने के लिए भी पर्याप्त स्टाफ हो।
3. प्लेटफॉर्म एक मंथली रिपोर्ट पब्लिश करें। इसमें महीने में आई शिकायतों, उन पर लिए गए एक्शन की जानकारी हो। जो लिंक और कंटेंट हटाया गया हो, उसकी जानकारी दी गई हो।
4. अगर प्लेटफॉर्म किसी आपत्तिजनक जानकारी को हटाता है तो उसे पहले इस कंटेंट को बनाने वाले, अपलोड करने वाले या शेयर करने वाले को इसकी जानकारी देनी होगी। इसका कारण भी बताना होगा। यूजर को प्लेटफॉर्म के एक्शन के खिलाफ अपील करने का भी मौका दिया जाए। इन विवादों को निपटाने के मैकेनिज्म पर ग्रेवांस अफसर लगातार नजर रखें।