लातेहार/मेदिनीनगर, 19 जनवरी (भाषा) झारखंड के बेतला राष्ट्रीय उद्यान में बीती रात दो जंगली नर हाथियों ने धावा बोलकर एक चालीस वर्षीय पालतू नर हाथी को मार डाला।
पलामू बाघ अभयारण्य (पलामू टाइगर रिजर्व) के उपनिदेशक कुमार आशीष ने ‘भाषा’ को बताया कि सोमवार देर रात दो जंगली नर हाथी बेतला राष्ट्रीय उद्यान के पलामू किला स्थित आश्रय स्थल (शेड) पहुंच गये और उन्होंने वहां रखे गये पालतू नर हाथी पर घेरकर हमला किया। उन्होंने बताया कि जंगली हाथियों के हमले में काल भैरव नामक पालतू नर हाथी गंभीर रूप से घायल हो गया था और उसकी मौके पर ही मौत हो गयी।
उन्होंने बताया कि जंजीर से बंधा होने के कारण काल भैरव हाथी संभवतः कोई प्रतिवाद नहीं कर सका और न ही वह मौके से भाग कर अपनी जान बचा सका। उन्होंने बताया कि आश्चर्यजनक रूप से जंगली हाथियों ने वहां मौजूद चार मादा हाथियों को कोई नुकसान नहीं पहुंचाया।
उन्होंने बताया कि मृतक हाथी पलामू बाघ अभयारण्य में आधिकारिक तौर पर संरक्षित हाथी था, जिसे बेतला राष्ट्रीय उद्यान स्थित पलामू किला में बनाए गये आश्रय स्थल (शेड) में रखा गया था।
आशीष ने बताया कि कर्नाटक सरकार से मैसूर से काल भैरव नर हाथी और मुर्गेस तथा सीता नामक मादा हाथी वर्ष 2018 में दस लाख रुपये में खरीदे गये थे। उन्होंने बताया कि काल भैरव को विशेष रूप से जंगली हाथियों के हमले से सुरक्षा के उद्देश्य से ही खरीदा और प्रशिक्षित किया गया था।
बेतला में वनों के क्षेत्र पदाधिकारी (रेंजर) प्रेम प्रसाद ने बताया कि गत रात जंगली हाथियों के झुण्ड ने लगभग साढ़े नौ बजे अचानक आश्रय स्थल पर हमला कर दिया और पालतू हाथी और उनमें हुए खूनी संघर्ष में चालीस वर्षीय वयस्क नर हाथी काल भैरव की मौत हो गई। उन्होंने बताया कि मृतक हाथी कुछ दिनों से बीमार था।
यह पूछे जाने पर कि आखिर एक जंजीर में बंधे पालतू हाथी को दो जंगली नर हाथी मारते रहे और वन अधिकारी, महावत आदि इस दौरान क्या कर रहे थे, उपनिदेशक आशीष ने दावा किया कि वन विभाग के लगभग तीस की संख्या में कर्मचारियों ने निगरानी टावर से पटाखे फोड़े, मशालें जलायीं लेकिन दोनों हमलावर हाथी मतवाले होने के कारण पीछे नहीं हटे।
उन्होंने दावा किया कि हमलावर हाथियों ने जब इस बात की संतुष्टि कर ली कि पालतू हाथी मारा जा चुका है तभी वह वापस जंगल में लौटे। यह पूछे जाने पर कि आखिर शेड में मौजूद चार मादा हाथियों को हमलावर हाथियों ने कोई नुकसान क्यों नहीं पहुंचाया, आशीष ने कहा, ‘‘इसकी जांच की जा रही है लेकिन संभवतः नरों के बीच की प्रतिस्पर्धा की भावना के चलते ऐसा हुआ होगा।’’
उन्होंने कहा कि पीटीआर के लिए यह एक बड़ी क्षति है और फिलहाल वन विभाग चारों पालतू हथिनियों को बेतला जंगल के पुराने शेड में ले आया है और पलामू किले के शेड को खाली कर दिया गया है।
भाषा सं. इन्दु
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