Sadhguru Isha Foundation: मद्रास हाई कोर्ट ने आध्यात्मिक गुरु सद्गुरु जग्गी वासुदेव (Sadhguru Isha Foundation) पर गंभीर आरोप लगाए हैं। इसके अलावा जग्गी वासुदेव के ईशा फाउंडेशन के खिलाफ दर्ज सभी क्रिमिनल केस की जानकारी देने का निर्देश दिया।
जस्टिस एसएम सुब्रमण्यम और वी शिवगनम की पीठ ने ईशा फाउंडेशन के संस्थापक (Sadhguru Isha Foundation) से सवाल किया। इस दौरान सवाल किया गया कि सदगुरु ने अपनी बेटियों की शादी कर दी है, लेकिन दूसरी युवतियों को संन्यास लेने की सलाह दे रहे हैं।
सद्गुरु जग्गी वासुदेव पर सवाल, हाईकोर्ट ने पूछा जग्गी से सवाल, खुद की बेटी को शादी कर सेटल किया'#sadguru #ishafoundation #jagivashudev #HighCourt #Brainwashing pic.twitter.com/ACx7psHRxt
— Bansal News (@BansalNewsMPCG) October 2, 2024
‘दूसरों की बेटियों का सिर मुंडवा रहे सदगुरु’
जस्टिस शिवगनम ने कहा कि- ‘हम जानना चाहते हैं कि एक व्यक्ति जिसने अपनी बेटी की शादी कर दी और उसे जीवन में अच्छी तरह से सेटल किया, वह दूसरों की बेटियों को सिर मुंडवाने और एकांतवासी का जीवन जीने के लिए क्यों प्रोत्साहित कर रहा है।’
ये भी पढ़ें…Ram Rahim Parole: हरियाणा चुनाव के पहले राम रहीम को मिली पैरोल, 3 शर्तों पर 20 दिन के लिए निकला जेल से बाहर
‘दो बेटियों का किया ब्रेनवॉश’
एक रिटायर्ड प्रोफेसर ने सद्गुरु जग्गी वासुदेव (Sadhguru Isha Foundation) पर आरोप लगाया था कि उन्होंने उनकी दो बेटियों का ब्रेनवॉश किया था। इस दौरान उन्होंने कहा कि उन्हें जबरदस्ती ईशा योग केंद्र में कैद कर रखा गया।
ईशा योग केंद्र ने आरोपों को नकारा
ईशा योग क्रेंद्र (Sadhguru Isha Foundation) ने इन सभी आरोपों को नकार दिया है। केंद्र के मुताबिक यहां सभी अपनी इच्छा से रहते हैं।
कौन हैं जग्गी वासुदेव?
जग्गी वासुदेव, सद्गुरु के नाम से जाने जाते हैं। ये सबसे लोकप्रिय समकालीन आध्यात्मिक हस्तियों में से एक हैं। इंस्टाग्राम और यूट्यूब पर उनके 25 मिलियन से ज्यादा फॉलोअर्स हैं।
सद्गुरु, तमिलनाडु के कोयंबटूर में ईशा फाउंडेशन (Sadhguru Isha Foundation) चलाते हैं। इसके अलावा उनके बेंगलुरु और दिल्ली में भी केंद्र हैं।
कैसे बने सदगुरु?
जग्गी वासुदेव का जन्म 3 सितंबर 1957 में हुआ था। उन्होंने 12वीं के बाद मैसूर विश्वविद्यालय से अंग्रेजी साहित्य में ग्रेजुएशन किया था। उसके बाद वे उन्होंने बिजनेस ईंट भट्टों के कारोबार से पोल्ट्री तक का बिजनेस किया।
सदगुरु (Sadhguru Isha Foundation) जब 25 साल के थे, तब उनके जीवन में कुछ ऐसा हुआ कि उनकी लाइफ ही बदल गई। दरअसल, एक दिन वे मैसूर के चामुंडी हिल पर गए थे और वहां जा कर ऊंचाई पर बैठ गए।
बैठे-बैठे वे ध्यानमग्न हो गए और जब उनकी आंख खुली तो उन्हें लगा वे 10 मिनट तक किसी और ही दुनिया में थे। हालांकि, वे 4 घंटे तक ध्यानमग्न थे।
डायबिटीज से मुक्त हुई दुनिया की पहली मरीज: इस थेरेपी से मिला इंसुलिन के इंजेक्शन से छुटकारा