नई दिल्ली। भारत समेत दुनियाभर के लोग ज्योतिष में विश्वास रखते हैं। कई देशों में किसी न किसी नंबर को शुभ या अशुभ माना जाता है। जैसे दुनिया के कई देशों में 13 नंबर को अशुभ माना जाता है। ठीक उसी प्रकार भारत में 420 नंबर को अच्छा नहीं माना जाता। आमतौर पर लोग इस नंबर का इस्तेमाल अपने निजी काम में नहीं करते हैं। भारत की पार्लियामेंट में भी इस नंबर का इस्तेमाल नहीं किया जाता।
संसद में 420 नंबर सीट नहीं है
दरअसल, भारतीय संसद में लोकसभा सदस्यों की संख्या 543 है। इस लिहाज से संसद भवन में कम से कम नंबरिंग से 543 सीटें होनी चाहिए। लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि संसद के हॉल में 420 नंबर सीट ही नहीं है। संसद भवन में 420 नंबर सीट को जगह ही नहीं दी गई है। किसी भी सांसद को 420 नंबर सीट आवंटित नहीं किया जाता।
आखिर ऐसा क्यो है?
आपको बतादें कि भारतीय दंड संहिता में जालसाजी या धोखाधड़ी करने वाले लोगों के खिलाफ ‘धारा 420’ के तहत मुकदमा दर्ज किया जाता है। इसलिए भारत में इस नंबर को शुभ नहीं माना जाता है। लोग इस नंबर को जालसाजी का प्रतीक मानते हैं। लोग किसी धोखेबाज, फर्जी या जालसाज आदमी को 420 है कह कर भी संबोधित करते हैं। इस कारण से संसद में 420 नंबर सीट नहीं है। किसी भी सम्मानित व्यक्ति के लिए 420 नंबर परेशानी की बात है।
पहले थी 420 नंबर सीट
मालूम हो, कि पहले संसद में 420 नंबर की सीट थी। लेकिन 14वीं लोकसभा के दौरान एक सदस्य ने 420 नंबर सीट आवंटित होने पर इसे अपना अपमान समझा और इसे समाप्त करने के लिए लोकसभा अध्यक्ष को पत्र लिखा। अध्यक्ष साहब ने मामले कि गंभीरता को समझते हुए इस सीट नंबर को निरस्त कर दिया और इसकी जगह 419-A सीट नंबर को मान्यता दे दी।
419-A नंबर की सीट पहली बार इन्हें की गई आवंटित
15वीं लोकसभा में सीट आवंटन के दौरान 420वें नंबर पर आने वाले ‘असम यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट’ के सांसद बदरुद्दीन अजमल को 420 नंबर की जगह 419-A नंबर की सीट दी गई थी। बदरुद्दीन अजमल देश के पहले सांसद थे जिन्हें सर्वप्रथम 419-A नंबर की सीट आवंटित की गयी थी।