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नई दिल्ली। शादी इंसान की जिंदगी का एक ऐसा मौका होता है, जिसमें वह कोई कसर नहीं छोड़ना चाहता। आप सब को तो यह मालूम ही है कि शादी में कई सारी रस्में निभाई जाती है। सगाई के दौरान अंगूठी पहनाने की रस्म बेहद खास मानी जाती है। अगर आपने गौर किया है तो आपने देखा होगा कि सगाई के दिन हाथ की अनामिका उंगली में अंगूठी पहनाई जाती है। यानी इस रस्म में लड़का और लड़की एक-दूसरे को बाएं हाथ की तसरी उंगली में अंगूठी पहनाते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि हमेशा इसी उंगली में ही अंगूठी क्यों पहनाई जाती है। अगर नहीं जानते तो चलिए आज हम आपको बतातें हैं कि इसके पीछे की असली वजह क्या है।
इस उंगली का सीधा संबंध हृदय से होता
सदियों से लोग इस परंपरा का पालन कर रहे हैं। रोमन मान्यता के अनुसार इस उंगली की नस का सीधा संबंध हृदय से होता है। इसलिए सगाई के समय हमेशा अनामिका उंगली में ही अंगूठी पहनी जाती है। हालांकि चीन की मान्यता के अनुसार हमारे हाथ की हर उंगली एक संबंध को दर्शाती है। इसी कड़ी में हाथ की तीसरी उंगली यानी अनामिका उंगली साथी के लिए होती है। जबकि अंगूठा माता पिता के लिए और तर्जनी उंगली भाई बहन के लिए। मध्यमा खुद के लिए और कनिष्ठा बच्चों के लिए मानी जाती है।
खास वजह
इसके इलावा भी तीसरी उंगली में अंगूठी पहनाने की खास वजह होती है और इसकी वजह यह है कि अंगूठी पहना कर एक दूसरे के प्रति वफादार और प्रतिबद्ध रहने का वचन लिया जाता है। यानि अगर हम सीधे शब्दों में कहे तो अंगूठी पहना कर व्यक्ति अपने परिवार और पत्नी की जिम्मेदारियों को पूरा करने की क्षमता को व्यक्त करता है। इसके साथ ही वह जीवन भर अपनी पत्नी की रक्षा करने का वचन लेता है।
सगाई की अंगूठी
बता दे कि सगाई की अंगूठी पहनाने का मतलब ये भी होता है कि दूल्हा दुल्हन एक दूसरे के प्रति अपने प्यार को जाहिर कर रहे है। हालांकि हर जगह ये मान्य नहीं है कि सगाई की अंगूठी केवल बाएं हाथ की अनामिका उंगली में ही पहनाई जाएं, क्यूकि मध्य और उत्तरी यूरोप के कई सारे शादीशुदा कपल दाएं हाथ की चौथी अंगुली में भी अंगूठी पहनाते है और इस रस्म को पूरा करते है।
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