नई दिल्ली। बचपन में हम सबने गुल्लक (Piggy Bank) का इस्तेमाल किया होगा। हम गुल्लक में एक या दो या पांच रुपये के सिक्के जमा करते थे और फिर किसी मेले या समारोह में जाने के लिए उनसे पैसे निकाल लेते थे। लेकिन क्या कभी आपने सोचा है कि गुल्लक को अंग्रेजी में पिगी बैंक (Piggy Bank) ही क्यों कहा जाता है। इसे जिराफ बैंक, लायन बैंक या फिर काउ बैंक क्यों नहीं कहा जाता? चलिए आज हम आपको इसके पीछे की कहानी बतातें हैं।
पहला तथ्य
दरअसल, पिगी बैंक शब्द के प्रचलन को लेकर कई कहानियां प्रचलित हैं। पहली कहानी ये है कि 15वीं शताब्दी में यूरोप में एक मिट्टी के प्रकार को पिग (pygg) नाम से जाना जाता था। इस मिट्टी से प्लेटें, बोतलें और दूसरे बर्तन बनाए जाते थे। तब लोग अपने पास पड़े छुट्टे पैसों को सुरक्षित रखने के लिए इन बर्तनों का इस्तेमाल किया करते थे, यहीं से इन बर्तनों को पिगी बैंक कहा जाने लगा। लोग धीरे-धीरे इस pygg शब्द को Pig समझने लगे और कुम्हार Pig के आकार के गुल्लक बनाने लगे।
यूरोप में ही गुल्लक का निर्माण हुआ ये कहा नहीं जा सकता
कुछ जानकारों का मानना है कि गुल्लक का निर्माण यूरोप में ही हुआ है ये कहना गलत होगा। क्योंकि पिगी बैंक का संबंध जर्मनी, इंडोनेशिया और चीन से भी मिलता है। वहीं कुछ लोगों का मानना है कि चूंकि चीन, इंडोनेशिया और यूरोप के बीच पूर्व में कारोबारी संबंध थे, ऐसे में संभव है कि पिगी बैंक की संकल्पना एक देश से दूसरे और फिर तीसरे देश तक पहुचती चली गई होगी। ऐसे में दुनिया के पहले पिगी बैंक कहां बने, इसे तय करना मुश्किल है।
पिग को चीनी संस्कृति में समृद्धि का सूचक भी माना जाता है
हालांकि कुछ जानकार मानते हैं कि पिगी बैंक का सीधा संबंध चीन के किंग साम्राज्य से है। पिग चीनी संस्कृति में समृद्धि का सूचक भी माना जाता है। वहां पूर्व में लोग सिक्कों को सुरक्षित रखने के लिए पिग के आकार के बर्तन का इस्तेमाल करते थे। हालांकि आज के समय में इनके आकार और बनावट में काफी बदलाव आया है। मिट्टी से बनने वाले पिगी बैंक अब प्लास्टिक से या किसी दूसरी धातु से भी बनने लगे हैं। लेकिन आज भी इनका नाम पिगी बैंक ही है।