Advertisment

लड़कियों के लिए पिंक और लड़कों के लिए ब्लू रंग ऐसा क्यों? जानिए इसके पीछे का कारण?

लड़कियों के लिए पिंक और लड़कों के लिए ब्लू रंग ऐसा क्यों? जानिए इसके पीछे का कारण? Why is it pink for girls and blue for boys? Know the reason behind this? nkp

author-image
Bansal Digital Desk
लड़कियों के लिए पिंक और लड़कों के लिए ब्लू रंग ऐसा क्यों? जानिए इसके पीछे का कारण?

नई दिल्ली। अगर आपने गौर किया होगा या गूगल पर सर्च करेंगे तो आपको लड़के और लड़कियों के लिए मिल रहे खिलौनों में फर्क नजर आएगा। गूगल पर लड़कियों कि लिए खिलौनों में मेकअप सेट और गुड़िया आदि मिलेगा। वहीं लड़कों के लिए आपको तरह-तरह की गाड़ियां बिल्डिंग ब्लॉक और रोबोट मिलेंगे। लेकिन क्या कभी आपने सोचा है कि ये किसने तय किया है कि किस खिलौने से लड़का खेलेगा या किस खिलौने से लड़की खेलेगी। यही नहीं लड़कियों के लिए पिंक और लड़कों के लिए ब्लू रंग को क्यों चुना गया।

Advertisment

लैंगिक असमानता के कारण कंपनी ने लिया फैसला

बतादें कि हाल ही में डेनमार्क की खिलौना बनाने वाली कंपनी "लेगो" ने घोषणा की है कि अब वो अपने उत्पादों से लैंगिक असमानता या जेंडर स्टीरियोटाइप को हटा देगा। कंपनी ने ये फैसला एक रिसर्च के बाद किया है। लेगो ने एक बयान में कहा कि क्रिएटिव प्ले बच्चों में आत्म विश्वास, रचनात्मकता और संचार कौशल को बढ़ाने में काफी फायदेमंद होते हैं। लेकिन हम एक स्टीरियोटाइप सोच के कारण क्रिएटिव एक्टिवीटि पर भी लड़का और लड़की का ठप्पा लगा कर बैठें है जिसे बदलना काफी जरूरी है।

शोध में 7 देशों के 7 हजार लोगों से की गई बात

कंपनी ने शोध करने वाली कंपनी डेविस इंस्टीट्यूट ऑन जेंडर इन मीडिया के साथ शोध किया जिसमें सात देशों के 7000 लोगों से बात की गई। जिसमें पहले 6 से 14 साल के बच्चों के अभिभावकों के साथ सर्वे में बात की गई और फिर बच्चों के साथ भी बातचीत की गई। सर्वे में अमेरिका, चीन, जापान, पोलैंड, रूस, चेक रिपब्लिक और यूके से लोगों को शामिल किया गया।

कंपनी ने अपने रिसर्च में पाया कि लड़कियां, लड़कों के मुकाबले लिंग भेद को लेकर दबाव कम महसूस करती हैं साथ ही वे रचनात्मक खेल को भी ज्यादा अपनाती हैं। जबकि समाज या अभिभावक नहीं चाहते कि लड़कियां फुटबॉल आदि खेले। वहीं लड़के बैले नहीं सिखना चाहते। जबकि लड़कियां इसे सामान्य मानती हैं। लड़के ऐसे खिलौने से भी नहीं खेलना चाहते जिसे फेमनिन या लड़कियों के लिए समझे जाते हैं। उन्हें ऐसे खिलौनों से खेलने में शर्म आती है। साथ ही उन्हें डर लगता है कि कहीं उनका मजाक न उड़ाया जाए कि लड़कियों के खिलौनों से खेलता है।

Advertisment

खिलौनों में फर्क क्यों?

बीबीसी में छपी एक रिपोर्ट के अनुसार, पंजाब यूनिवर्सिटी के विमेन स्टडिज़ विभाग की अध्यापिका डॉ अमीर सुल्ताना ने बताया कि जब आप लड़की और लड़कों के खिलौने देखेंगे तो पाएंगे जहां लड़कियों के ज्यादातर खिलौने पिंक या सॉफ्ट कलर के होंगे तो लड़कों के ब्लू। इसके पीछे रंगों का सिंद्धात काम करता है ''जैसे पिंक सुंदरता का प्रतीक होता है और ब्लू को आप आसमान से जोड़ते हैं कि जो असीमित है यानी आकाश या समुद्र, यानी नीला रंग मज़बूती बताता है.''

स्वभाव के कारण

यही कारण है कि लड़के और लड़कियां अपने स्वभाव के अनुसार खिलौनों का चयन करते हैं। लड़कियों के खिलौने में आपको नर्चरिंग रोल या पालन पोषण वाले दिखेंगे जैसे- गुड़िया, किचन सेट, या मेकअप सेट आदि वहीं लड़कों के लिए एड्वेन्चर से जुड़े खिलौने होंगे, जैसे रोबोट, गाडियां या गन, जो पुरुषों की आक्रमकता को दिखाता है। हालांकि डॉ अमीर सुल्ताना ये भी कहती हैं कि ये सब इस कारण से है क्योंकि हम काफी समय से यही देखते आ रहे हैं और और घरों में भी लड़कियों को मल्टीटास्किंग सिखाई जाती है। जैसे घर संभालना ,बच्चों को देखना आदि।

today news news in hindi parents girls Baby Destination Hindi blue color boys Child care tips Expert Hindi Parent advice fashion show franc Kids Diet Chart Hindi pink color जेंडर कलर पेयरिंग रंग लड़की लड़के
Advertisment
WhatsApp Icon चैनल से जुड़ें