आपने कभी गौर किया होगा कि जब भी हम पानी कें बर्फ के टुकड़े डालते है तो धुंआ निकलने लगता है। या फिर आपने देखा होगा की बर्फ की सिल्ली से धुंआ उठता है। लेकिन ये धुंआ क्यों उठता है जबकि बर्फ पानी से बना होता है। ऐसा सवाल आपके मन में जरूर उठता होगा। की आखिर वर्फ से धुंआ क्यो निकलता है। हमको देखकर ऐसा लगता है कि वह आग का धुंआ है, लेकिन वह कोहरा या कार्बन डाइऑक्साइड नहीं, बल्कि कुछ और होता है।
क्यों निकलता है बर्फ से धुंआ?
बर्फ या बाहर रखी बर्फ की सिल्ली से से धुंआ जैसा निकलता है। असल में यह धुआं कोई गैस नहीं बल्कि वाष्प है जो बर्फ की ठंड के कारण उसके आसपास जम जाती है। जब बर्फ के आसपास की हवा ज्यादा ठंडी हो जाती है तो उसमें से थोड़ी वाष्प पानी की बूंदों में बदल जाती है। जमी हुई वाष्प हवा के झोंके में धुएं की तरह लगती है। दरअसल, पानी तीन अवस्था में होता है। ठोस, द्रव और गैस। पानी ठोस होने पर बर्फ, द्रव होने पर जल और गैसीय अवस्था में होने पर भाप कहलाता है। बर्फ में एच2ओ के अणु एक दूसरे से जुड़े होते हैं। वही द्रव अवस्था में इसकी मजबूती थोड़ी कम होती है और गैसीय अवस्था में इनकी मजबूती काफी कम होती है। गैसीय अवस्था में एच2ओ के अणुओं में ऊर्जा ज्यादा होती है जिससे ये गतिक अवस्था में होते हैं।
कैसे निकलती है भाप?
पानी एक निश्चित तापमान से नीचे होने पर बर्फ का रूप ले लेती है। पानी वायु मे गैस की अवस्था में होती है, वायु जब बर्फ की सतह को छूती है यब वह छोटी-छोटी बूंदों के रुप में निकलने लगती है जो हमें भाप के रुप मे दिखाई पड़ती है। हवा में पानी गैस की अवस्था में मौजूद होती है। जब हवा बर्फ की सतह को छूती है, तब हवा में मौजूद पानी जो अभी तक गैस की अवस्था में थे वो सूक्ष्म पानी की बूंदों में बदल जाते हैं। हम उन्हीं सूक्ष्म बूंदों को भाप के रूप में देखते हैं। जिसे देखकर हमे लगता है कि बर्फ से धंुआ निकल रहा है।