नई दिल्ली। हम सभी अपने दैनिक जीवन में जींस तो जरूर पहनते हैं। हालांकि, दो दशक पहले तक भारत में इसका चलन उतना नहीं था, लेकिन सन् 2000 के बाद इसका चलन काफी बढ़ा। कुछ बुजुर्गों को अलग छोड़ दिया जाए तो आज लगभग सभी लोग जींस पहनते हैं। आज के समय में जींस सिर्फ फैशन या स्टाइल का सिंबल नहीं, बल्कि एक जरूरी सामान हो गया है। अन्य कपड़ों से इतर जींस की पेंट काफी अलग होती है। जींस में आपने देखा होगा कि सामने की तरफ दो पॉकेट के अलावा दायीं तरफ एक छोटा पॉकेट होता है। अधिकांश लोगों को यह नहीं पता होगा कि इस जेब का क्या उपयोग है?
छोटी जेब किसी और काम के लिए बनाई गई थी
ज्यादातर लोग इस जेब में सिक्के, पेन ड्राइव या छोटी-मोटी चीजें रखते हैं। हालांकि जब यह जेब बनाई गई थी तब इसका इस्तेमाल किसी और काम के लिए था। आइए जानते हैं किस मकसद से बनाई गई थी ये जेब?
इस जेब का संबंध जींस की शुरूआत से है
बतादें कि इस जेब का संबंध जींस की शुरूआत से है। सबसे पहले जींस का आविष्कार खदान में काम करने वाले मजदूरों के लिए किया गया था। तब पॉकेट वॉच का चलन काफी ज्यादा था। ऐसे में मजदूर उस वॉच को पहले सामने वाले जेब में रखते थे। हालांकि, सामने वाले जेब में टूटने का डर रहता था। इस समस्या को खत्म करने के लिए छोटी पॉकेट बनाई गई और धीरे-धीरे यह जींस का अहम हिस्सा बन गया और आज के दौर में इसे फैशन के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है।
छोटे-छोटे बटन का क्या काम?
इसके अलावा जींस में छोटे-छोटे बटन भी होते हैं, ये जेब के किनारों पर लगे होंते हैं। इसके पीछे भी एक राज है। जैसा की मैंने पहले ही कहा कि जींस का इतिहास मजदूरों से जुड़ा हुआ है। मजदूर जब इसका इस्तेमाल करते थे, तो जींस का कपड़ा रफ एंड टफ होने के कारण आसानी से नहीं फटता था। लेकिन इसकी जेब के साथ मजदूरों को शिकायत थी। क्योंकि पैंट की जेब जल्द फट जाती थी। ऐसे में टेलर जेकब डेविस ने एक जुगाड़ निकाला। उन्होंने जींस की जेब के किनारों पर छोटे-छोटे मेटल के पुर्जे लगा दिए। यह जुगाड़ कामयाब रहा और धीरे-धीरे बटन की शक्ल ले ली। इन बटन्स को रिवेट्स (Rivets) कहा जाता है।