नई दिल्ली। आपने अक्सर बत्तखों को एक लाइन में तैरते देखा होगा। कभी-कभी छोटी बत्तखें बड़ी बत्तख के पीछे तैर रही होती हैं। लेकिन क्या कभी आपने सोचा है कि बत्तखें एक लाइन में ही क्यों तैरती हैं? ज्यादातर लोग इस चीज को नहीं जानते होंगे। आइए आज जानते हैं इसके पीछे की मुख्य वजह क्या है। इस संबंध में हाल ही में एक शोध किया गया था, जिसमें बेहद चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं।
रिसर्च में क्या हुआ खुलासा
जर्नल ऑफ फ्लूइड मैकेनिक्स की एक रिपोर्ट में शोधकर्ताओं ने बताया कि बत्तख के बच्चे अपनी मां के पीछे एक व्यवस्थित लाइन में चलते हैं। ताकि वह अपनी एनर्जी बचा सके। बतादें कि बत्तख जब पानी में पैडलिंग करके वेव्स बनाती है तो उसके बच्चे उन्हीं वेव्स पर आगे बढ़ते जाते हैं जिससे बत्तख के बच्चों की एनर्जी कम लगती है और बच्चों को बार-बार पैडलिंग नहीं करनी पड़ती है।
एक-दूसरे के साथ तालमेल बैठाकर तैरती हैं बत्तखें
शोधकर्ताओं ने जब बत्तख के बच्चों के मेटाबॉलिज्म को मापा तो पाया कि बड़ी बत्तख के पीछे तैरते समय छोटी बत्तखों ने ऊर्जा की बचत की। क्योंकि पानी में बत्तख का बच्चा अपनी मां के ठीक पीछे चलता है और इससे उसे तैरने में मदद मिलती है। साथ ही इस काम में उसे कम मेहनत भी करनी पड़ती है और बत्तखें एक-दूसरे के साथ तालमेल बैठाते हुए आगे बढ़ती हैं।
पानी में कैसे तैर लेती हैं
बतख के पैरों को कभी गौर से देखना। इनके पांव की उंगलियां एक झिल्ली की मदद से एक-दूसरे से जुड़ी हुई होती हैं, जिसे पादजाल कहा जाता है। तैरते समय यही पैर पतवार की तरह काम करते हैं। यही नहीं, इनके पंख वाटरप्रूफ होते हैं। दरअसल इनकी पूंछ के पास एक विशेष प्रकार की ग्रंथि होती है, जिससे एक तैलीय द्रव स्रावित होता रहता है। इनके पंखों पर इस तैलीय पदार्थ की एक पतली परत बन जाती है, इस वजह से इनके पंख पानी में गीले नहीं होते। ठंडे पानी में बतख कई घंटे तक तैरती रहती हैं तो क्या इनके पैर ठंड से जमते नहीं हैं। तो जवाब है नहीं। बतख के पैरों में नसें या रक्त वाहिकाएं नहीं होती हैं, इसलिए इन्हें ठंड का अनुभव नहीं होता, चाहे ये बर्फ जैसे ठंडे पानी में तैर रही हों या साधारण पानी में।
बतख की दिलचस्प बातें
बतख, सारस और हंस, ये सभी एक ही परिवार ‘एनाटिडी’ के सदस्य हैं। नर बतख को अंग्रेजी में ‘ड्रेक’ और मादा बतख को ‘डक’ कहते हैं। यह सर्वाहारी जीवों की श्रेणी में आने वाला पक्षी है, जो पेड़-पौधे, फल आदि के साथ-साथ छोटे-मोटे कीड़े-मकोड़े और मछलियां भी खाता है। सबसे खास बात यह कि ऊंट की तरह ही बतखों की भी तीन पलकें होती हैं। इनका जीवनकाल लगभग 10 वर्षों का होता है।बतख झील, तालाब और समुद्र के पानी में आराम से रह सकती हैं। समुद्र में रहकर ये एक दिन में कई मीलों का सफर तय कर लेती हैं। डाइविंग बतख अच्छी गोताखोर होती है। यह गहरे पानी में भोजन के लिए चली जाती है। डैबलिंग प्रजाति की बतखें तैरती तो पानी में हैं, मगर जमीन पर ही अपना भोजन तलाश करती हैं। इस प्रजाति की बतखें लगभग पूरी दुनिया में मिलती हैं।