देशभर में अब गर्मी ने अपना रूप दिखाना शुरू कर दिया हैं। गर्मी आने के चलते चौक चौराहों पर ठंड़ाई की दुकाने सजने लगी है। गलियों में कुल्फी वाले ठेले फेरी लगाने लगे है। ठेलों पर चाट, कुल्फी और शिकंजी का आनंद तो आपने खूब लिया होगा, लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि चाट शिकंजी, मटके की कुल्फी बेचने वाले दुकानदार और ठेले वाले लाल रंग के कपड़े का ही इस्तेमाल क्यों करते है। काले, सफेद या पीले कपड़े का क्यों नहीं? आखिर इसके पीछे की वजह क्या है? आइए आपको बताते है।
ठेले पर लाल रंग ही क्यों?
जब भी हम गर्मी में शिकंजी या फिर मटके वाली कुल्फी खाने के लिए किसी ठेले पर जाते है तो अपने ठेले पर लाल रंग का कपड़ा ढका हुआ जरूर देखा होगा। कुल्फी, लस्सी या ठंड़ाई बेचने वाले मटके पर लाल रंग का कपडा जरूर बांधते है। दरअसल, लाल रंग चटकीला होता है, लाल रंग को देखते ही हमारी आंखे थम जाती है। ठेले वाले लाल रंग का इस्तेमाल इसलिए करते है ताकि लोगों की नजरे उनके ठेले की ओर आकर्षित करें। लाल रंग के पीछे एक वैज्ञानिक कारण भी है।
क्या है लाल रंग का वैज्ञानिक कारण?
लाल रंग के कपड़े के वैज्ञानिक कारण की बात करें तो आपने बचपन ने पढ़ा होगा की लाइट्स सात रंगों से मिलकर बना होता है। और इसमें वेवलेंथ सबसे ज्यादा होती है। जबकि फ्रिक्वेंसी कम होती है। रोशनी या लाइट्स वेव की तरह काम करती है। इसमें जिसकी वेव लेंथ यानी तरंददैर्ध्य जितनी ज्यादा और फ्रिक्वेंसी यानी कि आवृति जितनी कम होगी वह उतना ही चमकीला और तेज होगा। यही वजह है कि लाल रंग के प्रति लोगों का आकर्षण काफी अधिक होता है। जब भी आप अपने आसपास अपनी नजरें दौडाएंगे तो आपको लाल रंग सबसे ज्यादा आकर्षित करेंगा। इसलिए ठेले वाले लाल रंग के कपड़े का इस्तेमाल सबसे ज्यादा करते है।