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Supreme Court: गर्भपात केस में सुनवाई के दौरान जस्टिस नागरत्ना ने क्यों लगाई केंद्र सरकार को फटकार, जानें पूरा मामला

सुप्रीम कोर्ट के दो जजों की बेंच ने बुधवार को 26 महीने का गर्भ गिराने की इजाजत मांग रही विवाहित महिला की याचिका पर विभाजित फैसला दिया है।

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Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट के दो जजों की बेंच ने बुधवार को 26 महीने का गर्भ गिराने की इजाजत मांग रही विवाहित महिला की याचिका पर विभाजित फैसला दिया है। अब इस मामले की सुनवाई तीन जजों की बेंच करेगी, जिसके लिए डबल बेंच ने चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ को केस रेफर कर दिया है। इससे पहले सुनवाई के दौरान उस समय कोर्ट रूम का माहौल हंगामेदार हो गया, जब जस्टिस बीवी नागरत्ना केंद्र सरकार की तरफ से पेश एडिशनल सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी पर भड़क गईं।

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जस्टिस नागरत्ना ने ASG भाटी को फटकार लगाने वाले अंदाज में कहा कि हम भी सुप्रीम कोर्ट ही हैं। ये बात आपको याद रखनी चाहिए। दरअसल जस्टिस नागरत्ना इस बात पर नाराज थीं कि उनकी बेंच द्वारा पारित एक फैसले को वापस कराने के लिए केंद्र सरकार ने सीधे चीफ जस्टिस के पास याचिका क्यों दाखिल कर दी है, जबकि तय प्रक्रिया के मुताबिक पहले उनकी बेंच में ही पुनर्विचार याचिका दाखिल होनी चाहिए थी।

'सुप्रीम कोर्ट की हर बेंच का आदेश, सुप्रीम कोर्ट का ही आदेश है'

Live Law की रिपोर्ट के मुताबिक, जस्टिस नागरत्ना और जस्टिस हिमा कोहली की एक बेंच का आदेश वापस कराने के लिए केंद्र सरकार ने चीफ जस्टिस के सामने इसे मौखिक रूप से पेश किया था। इससे नाराज जस्टिस नागरत्ना ने ASG भाटी से कहा, बिना आवेदन दाखिल किए किसी दूसरी बेंच द्वारा पारित आदेश में हस्तक्षेप के लिए सीधे चीफ जस्टिस से संपर्क करने की संघ की कार्रवाई परेशान और चिंतित करने वाली है। ऐसी मिसाल कायम होने पर कोर्ट सिस्टम चरमरा जाएगा।

जस्टिस नागरत्ना ने ASG से कहा कि हम इसकी इजाजत नहीं दे सकते। आपको समझना होगा कि सुप्रीम कोर्ट की हर बेंच सुप्रीम कोर्ट है और उसका आदेश सुप्रीम कोर्ट का ही फैसला है। हम ऐसा (सीधे चीफ जस्टिस के सामने जाने) की इजाजत नहीं दे सकते। इससे हर निजी पार्टी भी यही करने लगेगी। हालांकि ASG भाटी ने जस्टिस नागरत्ना से माफी मांगते हुए उन्हें बताया कि आपके आदेश में मंगलवार को ही गर्भपात कराने का आदेश था। इस कारण उन्हें चीफ जस्टिस से हस्तक्षेप की गुहार लगानी पड़ी है।

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