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मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने सीएम चेहरे पर क्यों छोड़ा सस्पेंस? यहां समझें इसके चुनावी मायने

पांच राज्यों के आगामी विधानसभा चुनावों के मद्देनजर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) का सबसे बड़ा दांव मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ जैसे हिंदी पट्टी के राज्यों में है. सूत्रों के मुताबिक, बीजेपी ने इन तीनों राज्यों में सामूहिक नेतृत्व में जाने का फैसला किया है.

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Kumar pintu
मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने सीएम चेहरे पर क्यों छोड़ा सस्पेंस? यहां समझें इसके चुनावी मायने

पांच राज्यों के आगामी विधानसभा चुनावों के मद्देनजर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) का सबसे बड़ा दांव मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में खेलने लगी है.  सूत्रों के मुताबिक, बीजेपी ने इन तीनों राज्यों में सामूहिक नेतृत्व में जाने का फैसला किया है.

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हिंदी पट्टी के प्रमुख राज्य राजस्थान में बीजेपी कांग्रेस के खिलाफ चुनाव मैदान में है, लेकिन यह पहली बार है कि बीजेपी मुख्यमंत्री के चेहरे की घोषणा नहीं करेगी.

यहां पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत का दावा सबसे मजबूत है.

माना जा रहा था कि मुख्यमंत्री के चेहरे के तौर पर अर्जुन मेघवाल की दावेदारी उभरी है, लेकिन पार्टी ने सामूहिक नेतृत्व में अशोक गहलोत के खिलाफ चुनाव लड़ने का फैसला किया है.

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मध्य प्रदेश में बीजेपी की सरकार है और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान हैं, लेकिन इस बार बीजेपी शिवराज सिंह चौहान के चेहरे पर चुनाव न लड़कर सामूहिक नेतृत्व में चुनाव लड़ रही है.

यहां यह बताना जरूरी है कि विधानसभा चुनाव के बाद विधायक ही मुख्यमंत्री का चेहरा तय करेंगे. बीजेपी की स्थापना के बाद यह दूसरी बार है कि मुख्यमंत्री होने के बावजूद बीजेपी सामूहिक नेतृत्व में विधानसभा चुनाव लड़ रही है.

इससे पहले असम का विधानसभा चुनाव 2021 में होगा. उस समय सर्बानंद सोनोवाल जब मुख्यमंत्री थे तब भी बीजेपी ने सामूहिक नेतृत्व में चुनाव लड़ा था.

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मुख्यमंत्री के चेहरे की नहीं की जाएगी घोषणा 

राजस्थान और मध्य प्रदेश की तरह छत्तीसगढ़ में भी बीजेपी फिलहाल किसी को मुख्यमंत्री के चेहरे के तौर पर पेश नहीं करने जा रही है.

यहां मुख्यमंत्री रमन सिंह, प्रदेश अध्यक्ष अरुण साहो दसवां, सांसद सरोज पांडे और राम विचार नेताम जैसे वरिष्ठ नेताओं की मौजूदगी में बीजेपी ने सामूहिक नेतृत्व में चुनाव लड़ने का फैसला किया है.

सामूहिक ताकत पार्टी को दिला सकती है बड़ी जीत

बीजेपी नेतृत्व का मानना है कि सामूहिक नेतृत्व के जरिए पार्टी के सभी नेताओं और कार्यकर्ताओं की सामूहिक ताकत पार्टी को बड़ी जीत दिला सकती है,

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इसलिए मुख्यमंत्री के चेहरे पर चुनाव लड़ने या मुख्यमंत्री के नाम की घोषणा करने की बजाय तीनों राज्यों में बीजेपी सामूहिक नेतृत्व में चुनाव लड़ रही है. चुनाव लड़ने जा रहे हैं.

यूपी की 2017 की जीत दोहराने की कोशिश

2017 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव का जिक्र करते हुए बीजेपी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि उत्तर प्रदेश में बीजेपी का 14 साल से वनवास चल रहा था और 2017 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने सत्ताधारी पार्टी से अलग होकर सामूहिक नेतृत्व में चुनाव लड़ा और ऐतिहासिक जीत दर्ज की. .

ऐसी ही जीत की उम्मीद बीजेपी को एक बार फिर राजस्थान, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश में सामूहिक नेतृत्व पर भरोसा करने को मजबूर कर रही है.

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