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National Sports Day: कभी हॉकी की नर्सरी कहलाता था भोपाल, अब क्यों नहीं निकल रहे चैंपियन खिलाड़ी

National Sports Day: कभी भोपाल हॉकी की नर्सरी कहलाता था। अब चैंपियन खिलाड़ी क्यों नहीं निकल रहे हैं। वर्ल्ड चैंपियन असलम शेर खान से बातचीत।

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Rahul Garhwal
Why did Bhopal lag behind in hockey National Sports Day Aslam Sher Khan bansal news digital

National Sports Day: एक समय था जब भोपाल को हॉकी की नर्सरी कहा जाता था। वो सुनहरा दौर 1930 से शुरू हुआ था। 1931 से 1948 तक भोपाल वान्डर्स की टीम की गूंज पूरे देश में सुनाई देती रही। भोपाल वान्डर्स ने देश के सभी बड़े टूर्नामेंट अपने नाम किए। अंग्रेज भोपाल की टीम को ब्लैक हॉर्स कहते थे। उस समय भोपाल के बच्चे-बच्चे के हाथ में हॉकी होती थी। गली-गली में हॉकी खेली जाती थी। भोपाल की हॉकी इनाम उर रहमान, असलम शेर खान, सैय्यद जलालुद्दीन रिजवी जैसे दिग्गजों के हाथों में थी। इसी दौर में भारतीय हॉकी टीम में एक साथ भोपाल के 5 खिलाड़ी खेले। भोपाल ने देश को 10 से ज्यादा ओलंपियन और 17 नेशनल प्लेयर दिए।

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अब भोपाल के बच्चों के हाथों में हॉकी कम ही दिखाई देती है। देश की हॉकी में भोपाल का नाम कहीं गुम हो गया है। आखिर हॉकी में भोपाल के पिछड़ने की वजह क्या है। वर्ल्ड चैंपियन और ओलंपियन असलम शेर खान से खास बातचीत।

हॉकी की नर्सरी भोपाल

वर्ल्ड चैंपियन और ओलंपियन असलम शेर खान ने कहा कि वो जमाना यकीनन गोल्डन पीरियड था। भोपाल और देश की हॉकी बहुत ऊपर थी। भोपाल के खिलाड़ियों में नैचुरल टैलेंट था, इसलिए इसे नर्सरी कहा जाता था। जो भी बच्चे हॉकी खेलते थे वो बहुत बड़े प्लेयर बनते थे।

हर मोहल्ले में होते थे हॉकी क्लब

असलम शेर खान ने कहा कि भोपाल के हर मोहल्ले में हॉकी खेली जाती थी। हर मोहल्ले का अपना क्लब होता था। हॉकी का काफी विस्तार था। अब खेलकूद काफी महंगा हो गया है, उसके स्पॉन्सर मिलते नहीं हैं। पहले मैदान बहुत थे, आबादी कम थी। अब आबादी बहुत है, मैदान कम हो गए हैं। पहले सुविधाएं ज्यादा थीं, अब कम हैं। भोपाल के लिए जरूरी है कि 10-20 जगह मोहल्लों में हॉकी हो तो आज भी प्लेयर निकल सकते हैं। बच्चों के लिए बड़े लेवल पर हॉकी कराने की जरूरत है।

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टर्फ के बिना मुमकिन नहीं हॉकी

ओलंपियन असलम शेर खान ने कहा कि अब टर्फ के बिना हॉकी का मतलब नहीं रह गया है। इतनी टर्फ कहां से लाएंगे। गर्वमेंट ला सकती है या प्राइवेट सेक्टर बिरला, टाटा, अडानी या अंबानी सपोर्ट करें। हर जिले के अंदर हॉकी कराई जाए और प्रैक्टिस कराई जाए। मोहल्लों और गांवों में हॉकी करानी होगी।

ओलंपिक में टीम इंडिया का शानदार प्रदर्शन

असलम शेर खान ने कहा कि ओलंपिक में टीम इंडिया ने लगातार अच्छा खेल दिखाया। सभी लड़कों के अच्छा खेलने से ब्रॉन्ज मेडल मिला। सुनहरे दौर में लौटने के लिए अब भी ऐसे चैंपियन खिलाड़ियों की जरूरत है जो बड़े मौकों पर स्पेशल खेल दिखाएं। जब 4 गुना खिलाड़ियों की आमद होगी तो उसमें से चैंपियन खिलाड़ी निकलेंगे जो ओलंपिक गोल्ड मेडल जीत सकते हैं।

सरकार पैदा नहीं कर सकती वर्ल्ड बीटर्स

असलम शेर खान ने कहा कि सरकार सपोर्ट कर सकती है, लेकिन वर्ल्ड बीटर्स पैदा नहीं कर सकती। खेलो इंडिया में 3 हजार करोड़ रुपए खर्च हुए, रिजल्ट क्या आया। अगर यही 3 हजार करोड़ कोच और स्पेशलिस्ट पर खर्च करते तो हो सकता था 2-3 मेडल जीत जाते। अगर ये 3 हजार करोड़ अफ्रीका जैसे देश को मिलते तो वो 10-12 मेडल जीत लाते। हम खेल को सब्जेक्ट नहीं बना सकते। खेल उसके विशेषज्ञों के हाथों में जाना चाहिए। हमारे पास फंड की कमी नहीं है, लेकिन वो खेल-खिलाड़ियों की बजाय गलत जगहों पर खर्च हो रहा है।

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देश को नंबर-1 नहीं बना सकते विदेशी कोच

वर्ल्ड चैंपियन असलम शेर खान ने कहा कि ये शर्म की बात है कि सब खेलों में विदेशी कोच हैं। वे एक लिमिट तक काम कर सकते हैं। जो देशप्रेम की भावना होगी वो उनमें नहीं होगी। वे तो प्रोफेशनल हैं। उन पर आप देश को नंबर-1 बनाने के लिए दबाव नहीं डाल सकते। वे उनके हिसाब से बेस्ट कर रहे हैं।

खेलों में मध्यप्रदेश से आगे क्यों पंजाब-हरियाणा

असलम शेर खान ने कहा कि मध्यप्रदेश के मुकाबले पंजाब-हरियाणा के लोगों की फिटनेस अच्छी है। वे ताकतवर हैं और इसका उन्हें फायदा मिलता है। दूसरी चीज है कि वहां माता-पिता को बच्चों को मेडल जिताने का जुनून है। वे दूसरों पर निर्भर नहीं हैं। वे बच्चों को ओलंपिक मेडल जिताने के लिए पूरी ताकत लगाते हैं। ये भावना मध्यप्रदेश में नहीं है। मध्यप्रदेश में टैलेंट तो है, लेकिन कमिटमेंट की कमी है। फैमिली, मां-बाप और कोच सबका कमिटमेंट बड़े खिलाड़ी बनाएगा।

वर्ल्ड चैंपियन असलम शेर खान का संदेश

खेल दिवस पर असलम शेर खान ने माता-पिता को एक संदेश दिया। उनका कहना है कि ये मां-बाप को तय करना है कि उन्हें खेल में बच्चे को किस लेवल तक पहुंचाना है। आप बच्चों को सपोर्ट करें। सुविधाएं धीरे-धीरे बढ़ रही हैं। आपका दायित्व होगा कि आप अपने बच्चे को पोडियम पर देखें।

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