जबलपुर से अमित सोनी की रिपोर्ट।
जबलपुर। मध्य प्रदेश की पूर्व डिप्टी कलेक्टर निशा बांगरे इस्तीफा देने के बाद से लगातार सुर्खियों में बनी हुई है। दरअसल ऑफिस से छुट्टी न मिलने के कारण निशा ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। अब जाकर सरकार ने उनका इस्तीफ़ा स्वीकार कर लिया है।
सूत्रों की मानें तो निशा बांगरे प्रदेश के आमला से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव में उतर सकती हैं। इसके लिए आमला के सीट की अदला बदली हो सकती है।
कौन है निशा बांगरे – Who is Nisha Bangre
निशा बांगरे का जन्म मध्य प्रदेश के बालाघाट जिले में हुआ था। अपने शुरुआती शिक्षा पूरी करने के लिए निशा ने 2010 से 2014 के बीच इंजीनियरिंग की पढ़ाई की।
इसके बाद वो गुरुग्राम के एक मल्टीनेशनल कंपनी में नौकरी करने लगी। इसी बीच इनका झुकाव सिविल सर्विस की ओर बढ़ने लगा, जिसकी वजह से उन्होंने ज्यादा समय तक नौकरी नहीं की।
सिविल परीक्षा पास करने के बाद निशा ने साल 2016 में एमपी में डीएसपी का पदभार ग्रहण किया। इसके बाद साल 2017 में उनका एमपी में डिप्टी कलेक्टर के पद पर चयन हो गया।
इसके बाद इनकी पहली पोस्टिंग बैतूल के आमला क्षेत्र में हुई। इस्तीफा देने से पहले निशा बांगरे छतरपुर जिले के लवकुश नगर में एसडीएम थीं।
ऐसे हुई सरकार के साथ विवाद की शुरुआत
निशा की सरकार के साथ विवाद की शुरुआत छुट्टी माग की माँग के साथ शुरू हुई। दरअसल, निशा बांगरे ने बैतूल जिले के आमला में 25 जून को आयोजित किए जा रहे अंतरराष्ट्रीय सर्व धर्म शांति सम्मेलन में शामिल होने के लिए छुट्टी के लिए आवेदन किया था
साथ ही उन्होंने अपने नए घर के गृह प्रवेश पूजा के लिए छुट्टी मांगी थी। लेकिन छुट्टी की मंजूरी को लेकर काफी विवाद हुआ था, जो समय के साथ और गहराता चला गया।
विवाद की असल वजह
बता दें डिप्टी कलेक्टर निशा बांगरे छतरपुर जिले के लवकुशनगर में एसडीएम (SDM) के पद पर कार्यरत थी। वे घरेलू कार्य का हवाला देकर छह महीने से छुट्टी पर थीं।
छुट्टी से वापस आने के बाद उन्होंने एकबार फिर छुट्टी मांग की थी। लेकिन प्रशासनिक और कार्मिक विभाग ने उनको अवकाश नहीं दिया।
निशा बांगरे का इस्तीफ़ा
निशा ने सरकार और अपने आप की पटती न देख अपना इस्तीफ़ा दे दिया। लेकिन, राज्य शासन ने निशा का इस्तीफ़ा स्वीकार नहीं किया।
निशा सरकार के विरोध में इस मामले को लेकर हाईकोर्ट पहुंची। हाई कोर्ट में राज्यसभा सांसद आईएफ वरिष्ठ अधिवक्ता विवेक तन्खा ने निशा की तरफ हाई कोर्ट ने इस्तीफा की बात को लेकर राज्य शासन को नोटिस भी जारी किया कि निशा के मामले में जल्द सरकार निर्णय ले।
निशा इस मामले को सुप्रीम कोर्ट तक ले गई, लेकिन सुप्रीम कोर्ट से निशा को खाली हाथ वापस लौटना पड़ा। हाई कोर्ट ने निशा की याचिका पर सरकार को जो नोटिस दिया था, सरकार ने उसका जवाब देते हुए निशा का इस्तीफा स्वीकार कर लिया।
निशा बांगरे और कांग्रेस
सरकार से चल रहे विवाद के बीच निशा कांग्रेस नेताओं के संपर्क में आई। उन्होंने अपनी अच्छी छवि के चलते कांग्रेस ने निशा को अपना बैतूल जिले की आमला विधानसभा सीट से उम्मीदवार बनाने की इच्छा जताई।
लेकिन इस्तीफा स्वीकार न होने की वजह से कांग्रेस निशा के नाम की घोषणा भी नहीं कर सकती थी। लेकिन जब इस्तीफा स्वीकार हुआ तब तक कांग्रेस अपना उम्मीदवार उस विधानसभा सीट से घोषित कर चुकी थी।
अब कयास यह लगाया जा रहा है कि कांग्रेस अपनी टिकट इस सीट से भी बदल सकती है। सूत्रों के अनुसार, एमपी कांग्रेस प्रदेश में 5 सीटों पर प्रत्याशी बदलने पर विचार कर रही है। आमला विधानसभा क्षेत्र भी उनमें से एक है।
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