नई दिल्ली। हाल ही में मल्टीडाइमेंशनल गरीबी पर नीति आयोग ने एक लिस्ट जारी किया था। इस लिस्ट में बिहार को सबसे गरीब राज्य और केरल को सबसे कम गरीब राज्य घोषित किया गया था। नीति आयोग ने इस लिस्ट में माना था कि बिहार की 52 फीसदी आबादी गरीब है, जबकि झारखंड में 42.16 फीसदी लोग गरीब हैं। वहीं उत्तर प्रदेश में करीब 38 फीसदी और मध्यप्रदेश में करीब 37 फीसदी लोग गरीब है। लेकिन यहां पर सवाल खड़ा होता है कि आखिर भारत में गरीब किसे माना जाता है और सरकार किस आधार पर यह तय करती है कि ये नागरिक गरीब है। चलिए आज हम जानते हैं।
भारत में गरीबी की परिभाषा
भारत में कैलोरी के उपभोग को गरीबी के मापदंडों के रूप मे स्वीकार किया गया है। भारतीय योजना आयोग के अनुसार ग्रामीण क्षेत्रों में 2400 कैलोरी और शहरी क्षेत्रों में 2100 कैलोरी से कम उपभोग करने वाले लोगों को गरीब या निर्धन माना जाता है। हालांकि देश में गरीबी मापने के अलग-अलग पैमाने हैं। लेकिन नीति आयोग ने जो लिस्ट जारी किया है, उसे MPI के आधार पर तैयार किया गया है। MPI गरीबी को स्वास्थ्य, शिक्षा और लाइफ़ स्टाइल के कुछ महत्वपूर्ण और बुनियादी मानकों के आधार पर परिभाषित करती है।
ये MPI क्या है?
25 सितंबर, 2015 को संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 17 सस्टेनेबल डिवेलप्मेंट गोल्स (SDG) तय किए थे। SDG का सबसे बड़ा मकसद हर जगह और सभी रूपों में गरीबी को समाप्त करना है। SDG में यह भी साफ़ तौर पर कहा गया है कि गरीबी किसी एक मानक से तय नहीं की जा सकती। इसी वजह से MPI को विकसित किया गया। MPI से UN को दुनियाभर में गरीबी की स्थिति का आंकलन करने में मदद मिलती है। MPI की गणना कुछ अलग-अलग मानकों (इंडिकेटर्स) के आधार पर होती है। इसका एक लेखा-जोखा भी संयुक्त राष्ट्र महासभा ने बनाया है। हालांकि, हर देश अपनी स्थिति के मुताबिक़ इन इंडिकेटर्स में थोड़ा बहुत बदलाव कर सकता है।
भारत में MPI की गणना कैसे होती है?
भारत में MPI की गणना 12 इंडिकेटर्स के आधार पर की जाती है। इनमें पोषण, बाल और किशोर मृत्यु दर, प्रेग्नन्सी के दौरान देखभाल, स्कूली शिक्षा के साल, स्कूल में उपस्थिति और खाना पकाने में कौन से ईंधन का इस्तेमाल होता है, जैसे इंडिकेटर्स शामिल हैं। इसके अलावा स्वच्छता, पीने के पानी की उपलब्धता, बिजली है या नहीं, घर है या नहीं, संपत्ति कितनी है और बैंक या पोस्ट ऑफ़िस में खाता है या नहीं, इन्हें भी 12 इंडिकेटर्स में शामिल किया गया है। अब सवाल यह कि MPI के लिए ये आंकड़े कैसे जुटाए गए?
आमदनी के आधार पर गरीबी
बतादें कि भारत में गरीबी मापने वाली अलग-अलग प्रक्रिया की वजह से वास्तव में गरीब लोगों की संख्या का आकलन करना बहुत मुश्किल है। आमदनी के आधार पर अगर भारत में गरीबr को देखे तो तेंदुलकर समिति (2009) के अनुसार शहरी क्षेत्र में रह रहे परिवारों के संदर्भ में गरीबी रेखा को 1000 रूपये प्रति माह और ग्रामीण परिवारों के लिए 816 रूपये प्रति महीन निर्धारित किया गया था।