Tea in India: मौसम बदलते ही लोग अपना खान पान भी बदल दिया करते हैं। कुछ ऐसा ही गर्मी के मौसम के साथ भी है। कुछ लोगों का मानना है कि वे गर्मी में गर्म चाय पीने से गर्मी दूर भागती है तो वहीं वहीं कुछ लोगों का मानना है कि हर्बल ग्रीन टी और ठंडी चाय पीने गर्मी में ठंडक मिलती है। तो आज हम आपको बता रहे हैं कि चाय का हिंदी नाम क्या है? चाय की कहानी व गर्मी में ठंडक दिलाने वाली चुस्की कौनसी है, जानिए…
चाय शब्द का इतिहास क्या है?
दरअसल, चाय के इतिहास और नाम की बात करें तो यह शब्द भारतीय या हिंदी नहीं है। इसे चीन से जोड़कर देखा जाता है। एक कहानी के मुतबिक चीन में एक चीनी सम्राट शेन नुंग के समय (2737 ईसा पूर्व) चाय का आविष्कार होना माना गया है। जब वे एक जंगल में गर्म पानी पी रहे थे तो उस वक्त उनके पानी में एक पेड़ की पत्ती आकर गिर गई, जिसकर रंग पानी में घुल गया और उसका स्वाद भी समाट के लिए पहुंत अच्छा लगा।
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चाय को हिंदी में क्या कहते हैं?
वहीं अगर बात करें चाय के नाम की तो “चाय” एक चीनी भाषा में दिया जाने वाला नाम है। इसे पहले चा या कहा जाता था, जो बाद में चाय हो गया। इसके साथ ही अगर कहा जाए कि चाय का वैज्ञानिक नाम क्या है? तो उसका उत्तर होगा “कैमेलिया सिनेंसिस”। वहीं चाय के लिए भारतीय हिंदी नाम की बात करें तो चाय को हिंदी (Tea in India) में ‘दुग्ध जल मिश्रित शर्करा युक्त पर्वतीय बूटी’ कहा जाता है।
चाय को संस्कृत में क्या कहते हैं?
चाय के लिए ‘दुग्ध जल मिश्रित शर्करा युक्त पर्वतीय बूटी’ इसके पानी, दूध और चाय पत्ती के मिश्रण के लिए कहा जाता है। वहीं चाय को अंग्रेजी में Tea और संस्कृत में षट्षष्टिः कहा जाता है। चाय की खोज होने के बाद पहले नाम की बात की जाए तो चीनी राजा शेंग नुंग ने चाय का नाम चा – आ रखा था। इसके साथ ही चाय के और अन्य नामों की बात करें तो ये- ते, चा, चाई भी कहा जाता है।
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गर्मी में कौनसी चाय पीनी चाहिए
गर्मी के मौसम में शरीर का तापमान को स्थिर रखने के लिए चाय पुदीना युक्त चाय के बहुत बेहतर विक्ल्प है। चाय में पुदीना, नींबू युक्त हर्बल, ग्रीन गर्मी के मौसम में भी हमारे शरीर के लिए ठंडक प्रदान कर सकती है। हालांकि, इस दौरान विशेषज्ञों के मुताबिक चाय को ठंडा करके पीना ज्याद असरदार बताया गया है। गर्मी के मौसम में एक कप एंटीऑक्सीडेंट युक्त ग्रीन टी (हरी चाय) स्वाद के साथ ही शरीर को फिट रख सकती है।
चाय का पेड़ कैसा होता है?
यह सब बातें जानने के बाद यह भी जान लें कि टी या चाय के पेड़ के लिए मेलेलुका अल्टरनिफोलिया कहा जाता है। इसी पेड़ की पत्तियों से चाय की पत्ती का निर्माण किया जाता है, जिससे अलग-अलग तरह की चाय बन सकती हैं। यह चाय की पत्ती का पेड़ मर्टल या मायर्टेसी पेड़ के परिवार के हिस्सा होता है। यह आम तौर पर लंबा और एक झाड़ी के समान होता है।
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भारत में चाय कौन लाया था?
यहां बता दें कि वैसे तो भारत में चाय (Tea in India) के चलन के लिए अंग्रेजों के समय से प्रचलन में आने की बात कही जाती है, लेकिन भारत में ही असम के कबाइली इलाकों में काफी पुराने समय से लोग एक खास तरह की जड़ी बूटी के पत्ते का इस्तेमाल करते हुए पेय पदर्थ बनाकर पीया करते थे, जिसपर बाद में अंग्रेजों की नजर पड़ी और उन्होंने यहां चाय के बागान बना लिए।