Kaam Ki Baat: संपत्ति से जुड़े कुछ शब्द अक्सर चर्चा में तो रहते हैं। पर कई बार इनका सही मतलब हमें पता नहीं होता है। जिस से भ्रम की स्थिति बनती है। जो लोग प्रापर्टी से जुड़े काम करते हैं उन्हें तो ये शब्द आसानी से समझ लेते हैं। लकिन आमजन को इनका अर्थ तक मालूम नहीं होता है। इसलिए आज हम आपको संपत्ति से जुड़ी अहम जानकारी देने जा रहे है। आइए जानते हैं इसके बारे में।
संपत्ति के प्रकार
भारत में दो प्रकार की संपत्ति की चर्चा होती है पहली है चल संपत्ति और दूसरी है अचल संपत्ति पहले जानते है इनके मतलब –
अचल संपत्ति-
ऐसी संपत्ति जो एक जगह से दूसरी जगह पर नहीं ले जाई जा सकता है उसे अचल संपत्ति कहते हैं, जैसे- घर, कारखाना वगैरह इसमें शामिल हैं।
चल संपत्ति-
वहीं ऐसी संपत्ति जिसे एक जगह से दूसरे जगह पर आसानी से ले जाया जा सकता है उसे चल संपत्ति कहते हैं जैसे चल संपत्ति के कुछ उदाहरण- आभूषण, लैपटॉप, पंखा,सामान्वा वाहन और अन्य इसमें शामिल है।
चल और अचल संपत्ति में अंतर-
चल और अचल संपत्ति में कुछ अंतर भी होते है जो संपत्ति एक से दूसरी जगह आसानी से स्थानातंरण हो जाए उसे हम चल संपत्ति कहते है। इसे हम चलायमान संपत्ति भी कहते हैं। चल संपत्ति को कोई सरकारी रिकार्ड नहीं होता है वहीं इसके विपरीत अचल संपत्ति उसे कहते है।
जिसे एक से दूसरी जगह पर शिफ्ट न किया जा सके। इसे हम स्थिर संपत्ति भी कहते हैं। वहीं इसका सरकारी रिकार्ड भी हमें रखना पड़ता है। 100 रुपये से अधिक है तो पंजीकरण अधिनियम 1908 के तहत इसका पंजीकरण जरूरी है।
वहीं चल संपत्ति को हम आसानी से बांट सकते है जबकि अचल संपत्ति को बांटने के लिए हमें कई बार परेशानी का सामना भी करना पड़ता है जैसे जमीन के मामले सरकारी दफ्तरों के चक्कर हमें लगाने पड़ते हैं। क्योंकि अचल संपत्ति को बिना वसीयत के हम किसी को सौंप नहीं सकते हैं।
वहीं सरकारी नियम के मुताबिक पेड़, पौधे या और भी अन्य जमीन से प्राप्त होने वाली वस्तुएं को अचल संपत्ति में शामिल नहीं किया जाता है। इसका मतबल होता है कि जो सरकार का आयकर अधिनियम है उसके मुताबिक 100 रुपये से अधिक है तो पंजीकरण अधिनियम 1908 के तहत इसका पंजीकरण जरूरी है।