किसी व्यक्ति को अगर दो अलग-अलग वैक्सीन लग जाए तो क्या होगा?, रिसर्च में सामने आई ये बात

यदि किसी व्यक्ति को दो अलग-अलग वैक्सीन लग जाए तो क्या होगा?, रिसर्च में सामने आई ये बात

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नई दिल्ली। कोरोना को हराने के लिए डॉक्टर कह रहे हैं कि टीकाकरण जरूरी है। लेकिन यह संभव नहीं है कि दुनिया की 7 अरब आबादी को कुछ ही दिनों में टीका दे दिया जाए। हालांकि, इस समय दुनिया में कई कंपनियां हैं जो वैक्सीन का तेजी से निर्माण कर रही हैं। भारत में भी 3 वैक्सीन कंपनियों को मंजूरी मिल चुकी है। ऐसे में अगर किसी व्यक्ति को पहली डोज किसी और कंपनी की और दूसरा डोज किसी और कंपनी की लगा दी जाए तो क्या होगा?, ऐसे सवाल कई लोगों के मन में उठ रहे होंगे। तो आइए जानते हैं इस पर विशेषज्ञ क्या कहते हैं।

कई देश मिक्स डोज देने पर विचार कर रहे हैं

दरअसल, कई देश मिक्स डोज देने पर विचार कर रहे हैं। कोरोना के तेजी से बढ़ते केस और वैक्सीन की लगातार कमी को देखते हुए मिक्स डोज दिया जा सकता है। यानी कि पहले जिस कंपनी की वैक्सीन ली है, दूसरी डोज जरूरी नहीं कि वही दी जाए। समय पर जिस कंपनी की उपलब्ध हो उसे दिया जा सकता है।

चीन में मिक्स डोज देने की चल रही है तैयारी

हालांकि मिक्स डोज पर किए गए कुछ रिसर्च में यह खुलासा हुआ है कि इससे मरीजों में साइड इफेक्ट देखने को मिलते हैं। खासकर थकान और सिरदर्द आम बात है। लेकिन अभी यह शुरूआती रिजल्ट है। अभी इस पर और रिसर्च होने बाकी हैं। चीन में कुछ वैक्सीन को मिलाकर देने की तैयारी है। इस वैक्सीन को कॉकटेल वैक्सीन का नाम दिया गया है।

ऑक्सफोर्ड के रिसर्च में क्या निकला?

रिसर्च में दो वैक्सीन को शामिल किया गया था। पहला एस्ट्रा जेनेका और दूसरा फाइज की वैक्सीन। लोगों को पहले एस्ट्रा जेनेका की खुराक दी गई, उसके चार हफ्ते के बाद फाइजर की वैक्सीन दी गई। इसके बाद देखा गया कि लोगों में हल्के साइड इफेक्ट दिख रहे हैं। हालांकि ये घातक नहीं थे। यूनिवर्सिटी ऑफ ऑक्सफोर्ड ने दुनिया की मशहूर मेडिकल-साइंस पत्रिका दि लांसेट में इसकी रिपोर्ट प्रकाशित की है। कई गरीब देशों में यह प्रयोग चल रहा है जहां टीके की मिक्स डोज देने की तैयारी हो रही है। अगर ऐसा होता है तो वैक्सीन की कमी से छुटकारा मिलेगा। साथ ही दूसरी डोज के लिए इंतजार भी नहीं करना होगा।

फ्रांस लोगों को मिक्स डोज लेने के लिए प्रेरित कर रहा है

कुछ देशों में यह काम शुरू भी हो गया है जहां बिना मैचिंग वाले टीके दिए जा रहे हैं। फ्रांस में ऐसा देखा जा रहा है कि जिन लोगों को एस्ट्रा जेनेका की पहली डोज दी गई, उन्हें फाइजर और बायोएनटेक की दूसरी डोज लेने के लिए कहा जा रहा है। अभी तक मिक्स डोज पर जितने भी शोध हुए हैं उनमें सुरक्षा को लेकर कोई बड़ी चेतावनी नहीं दी गई है। बस ये पता चला है कि जिन लोगों को मिक्स डोज दी गई है उनमें 10 परसेंट लोग भारी थकान के शिकार हुए। जबकि सिंगल डोज वैक्सीन से यह थकावट बस 3 परसेंट लोगों में पाई गई। रिसर्च में 50 वर्ष से उपर के लोगों को शामिल किया गया था। नए उम्र के लोगों पर भी मिस्क डोज का रिसर्च किया जा रहा है।

महाराष्ट्र से सामने आया मिक्स डोज का एक मामला

मालूम हो कि महाराष्ट्र से मिक्स डोज की एख घटना साामने आई है। जहां गलती से के बुजुर्ग को अलग-अलग वैक्सीन लगा दी गई। इसके बाद बुजुर्गों में इसके कुछ दुष्परिणाम देखने को मिले हैं। जैसे- शरीर पर लाल चकत्ते, थकान और बुखार। बुजुर्ग को इस वक्त स्वास्थ्य विभाग की कड़ी निगरानी में रखा गया है।

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