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Nagleela Stotra: हमारे हिन्दू धर्म में कई ऐसे ग्रंथ हैं जिन्हें पढ़ने से कई तरह के दोषों से मुक्ति मिलती है। इसी क्रम में हम आज बात करेंगे नागलीला स्तोत्र की। ऐसा माना जाता है कि नागलीला स्तोत्र का पाठ करने से व्यक्ति को अकाल मृत्यु नहीं आती।
भगवान श्रीकृष्ण के कमलनेत्र स्तोत्र का पाठ करने के बाद नागलीला स्तोत्र का पाठ करने से भगवान श्रीकृष्ण जल्दी प्रसन्न होते हैं। ऐसा माना जाता है कि साधक पाप रहित प्रांजल पथ और पनीत कर्म की ओर बढ़ता है।
नागलीला स्तोत्र के रचयिता (Poet of Nagleela Stotra)
भगवान श्रीकृष्ण को समर्पित नागलीला स्तोत्र के रचयिता महाकवि सूरदास जी हैं। जिन्होंने श्रीकृष्ण की भक्ति में सराबोर होकर नागलीला स्तोत्र की रचना की है।
अकाल मृत्यु से बचने के उपाय (Akal Mrityu se Bachane ke Upay)
ज्योतिषाचार्यों के अनुसार जो जातक या व्यक्ति नागलीला स्तोत्र का पाठ करता है, उनकी कभी अकाल मृत्यु नहीं होती है। वे पुण्य प्राप्त करने के बाद ही अपने शरीर का परित्याग करता है।
क्या है नागलीला स्तोत्र में
नागलीला स्तोत्र में भगवान कृष्ण ने कालीदाह में कालिया नाग को नाथा था। जिसमें श्रीकृष्ण ने पापी कंस को या दोन करके उसका उद्धार किया था। यह अनस स्तोत्र श्रीकृष्ण की लीलाओं को दिखाने के लिए महाकवि सूरदास द्वारा प्रदत्त, मानव समाज के लिए एक अनुपम उपहार और भगवान कृष्ण का प्रसाद है।
पढ़ें नागलीला स्तोत्र (Nagleela Stotra in Hindi)
श्रीकूल यमुना धेनु आगे, जल में बैठे प्रभुजी आन के।
नाग नागिनी दोनों बैठे, श्रीकृष्ण जी पहुंचे आन के ।
नागनी कहती सुनो रे बालक, जाओ यहाँ से भाग के।
तेरी सूरत देख मन दया जो उपजी, नाग मारेगा जाग के।
किसका बालक पुत्र कहिए, कौन तुम्हारा ग्राम है।
किसके घर तू जनमिया बालक, क्या तुम्हारा नाम है।
वासुदेव जी का पुत्र कहिए, गोकुल हमारा ग्राम है।
श्री माता देवकी जनमिया मैनू, श्रीकृष्ण हमारा नाम है।
ले रे बालक हत्थां दे कंगन, कन्नां दे कुंडल सवा लखां दियां बोरियां।
इतना द्रव्य ले जा रे बालक, देयां मैं नागां कोलों चोरियां।
क्या करां तेरे हत्था दे कंगन, कन्नां दे कुंडल सवा लखां दियां बोरियां।
श्री मात यशोदा दही बिलोवे, पावां नाग कालेदीयां डोरियां।
क्या रे बालक वेद ब्राह्मण, क्या मरिया तू तां चाहुनाएं।
नाग दह में आन पहुंचिया, अब कैसे घर जावनाएं।
ना रे पदमनी वेद ब्राह्मण, नन्दजी का मैं बालका।
श्री मात यशोदा दही बिलोवे, नेतरा मांगे काले नाग का।
पदम चूमे भुजा मरोड़ी, नागिनी नाग जगाया।
उठो रे उठो बलवन्त योद्धा, बालक नथने को आया।
उठिया रे उठिया नाग मंडली का राजा, इन्द्र वांगू बांके मुकुट पर झपट कीनी, गरजया।
श्री कृष्ण जी मुकुट बचा लिया।
भुजा का बल प्रभु बैंच लीन्हों, जिह्वा का बल प्रभु जी रहन दियो।
हाथ जोड़ नागनियां कहतीं, बल पियाजी तुम्हारा कहां गयो।
बंसरी सेती काली नाग नथिया, फन फूल फूल मथुरा की नगरी
देवकी फन नृत्य कराया, मंगल गाया।
भगत हेत प्रभो जन्म लेकर, लंका में काली दल में नाग नाथिया
मथुरा में रावण मारिया। कंस पछारिया।
सप्त दीप नौ खंड चौदह, सभी तेरा है पसारिया।
सूरदास जो तेरा यश गावे, तेरे चरणां तों बलहारियां।
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