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भोपाल। बंगाल चुनाव को जितने के लिए भाजपा ने मास्टर प्लान तैयार किया है। यहां हैवी वेट नेताओं की पूरी फौज तैयार की गई है। साथ ही कुछ ऐसे नेताओं को बंगाल में लगाया गया है जिन्हें संगठन के कामों का अच्छा अनुभव है। इन नेताओं को चुनावी रणनीति तैयार करने को कहा गया है। सबसे खास बात ये है कि इन नेताओं में से मध्य प्रदेश के 5 ऐसे नेता हैं जिनके कंधों पर बंगाल चुनाव की सबसे ज्यादा जिम्मेदारी है। ये नेता हैं कैलाश विजयवर्गीय, नरोत्तम मिश्रा, प्रहलाद पटेल, अरविंद मेनन और विश्वास सारंग।
पहले नंबर पर हैं कैलाश विजयवर्गीय
बंगाल चुनाव को बीजेपी पूरे दमखम के साथ लड़ना चाहती है। पार्टी इसके लिए किसी भी स्तर पर कोई कमी नहीं रखना चाहती। यही कारण है कि पार्टी ने पूरे देश से ऐसे नेताओं को चुन-चुन कर बंगाल में लगाया है जिन्हें संगठन के लिए काम करने का लंबा अनुभव है। मध्य प्रदेश से जिन नेताओं के बंगाल में लगाया गया है अगर उनकी बात करें तो इस मामले में कैलाश विजयवर्गीय (Kailash Vijayvargiya) पहले नंबर पर आते हैं।
विजयवर्गीय को बीजेपी का संकटमोचक भी कहा जाता है
कैलाश विजयवर्गीय को जोड़-तोड़ में माहिर माना जाता है साथ ही इन्हें बीजेपी का संकटमोचक भी कहा जाता है। यही कारण है कि इन्हें पार्टी ने पश्चिम बंगाल चुनाव के लिए प्रभारी बनाया है। विजयवर्गीय विधानसभा चुनाव से पहले भी बंगाल में काम कर चुके हैं। उन्हें पार्टी ने 2019 में लोकसभा चुनाव के लिए बंगाल भेजा था। जहां उन्होंने 18 सीटों पर पार्टी को जीत दिलाई थी। तब बंगाल में बीजेपी के पास खोने के लिए कुछ नहीं था। फिर भी विजयवर्गीय ने बंगाल में भगवा झंड़ा को बुलंद किया था।
जमीनी स्तर पर संगठन के लिए काम किया
विजयवर्गीय, अमित शाह के काफी करीबी माने जाते हैं। जब शाह पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष थे तो उन्होंने ही विजयवर्गीय को राष्ट्रीय महासचिव बनाया था। साथ ही पश्चिम बंगाल की जिम्मेदारी भी दी थी। जिम्मेदारी मिलने के बाद से ही विजयवर्गीय बंगाल में काम कर रहे हैं। कहा जाता है कि उन्होंने संगठन को बंगाल में जमीनी स्तर पर चुस्त-दुरूस्त किया है। साथ ही जितने भी कील-पेंच ठीले थे सभी को कसने का काम किया है।
दूसरे नंबर पर आते हैं नरोत्तम मिश्रा
मप्र के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा (Narottam Mishra) इस मामले में दूसरे नंबर पर आते हैं। उन्हें पार्टी ने बंगाल में 48 विधानसभा सीटों के लिए प्रभारी बनाया है। मिश्रा की गिनती एमपी में पार्टी के कुशल मैनेजरों में होती है। इससे पहले भी पार्टी ने उन्हें गुजरात और यूपी के विधानसभा चुनावों में प्रभारी बना कर भेजा था। नरोत्तम मिश्रा और कैलाश विजयवर्गीय के बीच अच्छी ट्यूनिंग भी है। इस कारण से दोनों की जोड़ी का फायदा पार्टी को पश्चिम बंगाल चुनाव में मिल सकता है।
तीसरे नंबर पर आते हैं प्रहलाद सिंह पटेल
मध्य प्रदेश में अन्य पिछड़ा वर्ग से नाता रखने वाले प्रहलाद सिंह पटेल (Prahlad Singh Patel) एक कुशल वक्ता हैं और स्थानीय एवं राष्ट्रीय मुद्दों पर गहरी पकड़ रखते हैं। छात्र जीवन से ही पटेल राजनीति में सक्रिय हैं। 1980 में वह जबलपुर विश्वविद्यालय छात्रसंघ के अध्यक्ष चुने गए थे। इसके बाद उन्होंने राजनीति में पलट कर नहीं देखा और लगातार आगे बढ़ते गए। प्रहलाद पटेल एक अनुभवी सांसद है। इसके साथ ही वह लोकसभा की अनेक समितियों के सदस्य भी रहे हैं।
चौथे नंबर पर हैं अरविंद मेनन
कभी मध्य प्रदेश में भाजपा के प्रदेश संगठन महामंत्री रहे अरविंद मेनन (Arvind Menon) को भी बंगाल चुनाव में लगाया गया है। मेनन को संगठन संभालने का अच्छा अनुभव है। मेनन जब मध्य प्रदेश में थे तो उन्हें मुख्यमंत्री शिवराज सिहं चौहान का बेहद करीबी कहा जाता था। मेनन ने मध्य प्रदेश में सरकार और संगठन के बीच तालमेल को बनाकर रखा था।
अंतिम नाम है विश्वास सारंग का
विश्वास सारंग (Vishvas Sarang) कम उम्र से ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े हुए है। वो युवा है और प्रखर वक्ता भी। उन्होंने अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद, भारतीय जनता युवा मोर्चा से लेकर भारतीय जनता पार्टी तक का सफर तय किया है। वो इस वक्त शिवराज सरकार ने चिकित्सा शिक्षा मंत्री हैं।
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