ठंडी रात में गर्माहट के लिए कई लोग कंबल से मुंह ढक लेते हैं, लेकिन इससे सांस लेने की हवा कम हो सकती है।
कंबल नीचे से हवादार नहीं होता, जिससे सांस लेने की हवा यानी ऑक्सीजन की कमी हो जाती है और CO₂ वापस सांस में जा सकता है। इससे नींद हल्की, थकान या चक्कर आ सकते हैं।
नाक-मुँह पर कंबल होने से हवा की आवाजाही बंद हो जाती है, जिससे साइनस, अस्थमा या सांस से जुड़ी तकलीफ बढ़ सकती है।
कम ऑक्सीजन और गर्म हवा में सोने से नींद गहरी नहीं होती। सुबह उठने पर थकावट, सिरदर्द या चिड़चिड़ापन हो सकता है।
कंबल के अंदर गर्मी व नमी से पसीना या रुई जैसी चिपचिपाहट होती है। इससे चेहरे पर मुंहासे जैसी समस्या हो सकती है।
बच्चे या नवजात अगर चेहरा कंबल से ढककर सोते हैं तो उनके सांस रुकने का खतरा बढ़ सकता है। उन्हें हमेशा चेहरा खुला रखकर सोना चाहिए।
शरीर को कंबल से ढकें, लेकिन चेहरा खुला रखें। स्वस्थ नींद के लिए कंबल, मुंह और नाक को अलग रखें।