आखिर पैदा होने के बाद बच्चे क्यों रोते हैं?

नवजात शिशु का पहला रोना उसकी भाषा की शुरुआत है। यही उसके लिए अपनी ज़रूरतें जताने का सबसे पहला तरीका है।

भूख, असहजता या दर्द होने पर भी शिशु रोता है। यह प्रकृति द्वारा दिया गया उसका स्वाभाविक संकेत है।

जन्म के बाद रोना फेफड़ों को ऑक्सीजन से भरता है। यही स्वतंत्र सांस लेने की शुरुआत का प्रतीक है।

गर्भ के सुरक्षित वातावरण से बाहर निकलते ही बदलाव आता है। ठंड, उजाला और शोर उसे चौंकाते हैं और वह रोने लगता है।

रोना पाचन तंत्र की सक्रियता का भी संकेत है। भूख या गैस जैसी परेशानी इसी से प्रकट होती है।

जन्म की पूरी प्रक्रिया शिशु के लिए तनावपूर्ण होती है। रोना तनाव कम करने और ऊर्जा पाने का माध्यम बनता है।

रोने से मस्तिष्क तक ऑक्सीजन की आपूर्ति बढ़ती है। यह जीवन की शुरुआत और स्वस्थ सांसों का संदेश देता है।