वृंदावन वाले प्रेमानंद जी महाराज की वीडियो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल होती रहती है। वहीं, सत्संग में आए भक्त उनसे भक्तिमार्ग से संबंधित कई सवाल पूछते हैं।
वहीं, एक भक्त ने भक्ति से जुड़ा सवाल प्रेमानंद जी महाराज से पूछा कि हम कैसे जानेंगे कि भगवान की शरण में हैं।
इसपर प्रेमानंद महाराज ने उत्तर दिया कि प्रभु की शरणागति तीन तरह की होती है। एक वचन की, दूसरी शरीर की और तीसरी मन की होती है।
इसके बाद महाराज जी ने बताया कि मन में जो संकल्प विकल्प भोग विलासिता के होते हैं। मन को हम भगवान की चिंतन में लगाते हैं।
वहीं, दूसरा निष्काम भाव होता है, जिसमें शरीर से, वाणी से और मन से सकाम भाव का त्याग करके निष्काम भाव से आपकी शरण में स्वयं हूं।
जबकि महाराज जी ने तीसरा कहा कि भगवान के प्रतिकूल कोई आचरण, कोई वचन विचार से लेकर संकल्प विकल्प न होना।
प्रेमानंद जी महाराज आगे कहते हैं कि जब भगवान की शरण में मन लगता है तब अनुभव होता है कि मैं मनवचन, कर्म से प्रभु की शरण में हूं।