आध्यात्मिक गुरु प्रेमानंद जी महाराज के प्रवचन सुनने के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं।
एक सत्संग में जब उनसे सवाल किया गया कि इस दौड़ भाग की जिंदगी में तनाव जल्दी हो जाता है और दिमाग बेवजह काफी कुछ सोंचने लगता है ऐसे में क्या किया जाए?
महाराज जी ने इसे बड़ी ही सुंंदर तरीके से समझाया। उन्होंने कहा जबतक भगवान का आश्रय भजन नहीं होगा ये नहीं रूकने वाली।
इस पर उन्होंने एक कथा सुनाया। जिसमें कहा, किसी ने भूत को सिद्ध किया तो भूत ने कहा कि मैं तुम्हारा सब काम करूंगा लेकिन तुम्हें मुझे हर वक्त काम में लगाना होगा वरना मैं तुम्हें पटक दूंगा।
व्यक्ति ने उसे काम देना शुरु किया वो जो काम देता भूत शीघ्रता से उसे कर देता। एक वक्त के बाद इंसान परेशान हो गया तो वो अपने गुरु जी के पास गया।
गुरु जी ने उसे कहा कि एक खंभा गाड़ दो, भूत को बोलना हर वक्त इस खंभे पर उतरता-चढ़ता रहे। वो वैसे ही करने लगा। इसके बाद भूत भाग गया।
इस कथा में प्रेमानंद जी ने भूत की तुलना मन से की है। प्रेमानंद जी ने कहा राधा के नाम का जाप करें, मन को खाली न रखें।
शास्त्रों का अध्ययन करें। माता-पिता की सेवा करें। परिवार के साथ समय बिताएं। दोस्तों या परिवार से चिंता या उलझन शेयर करें।