पितृपक्ष में क्यों और कब किया जाता है त्रिपिंडी श्राद्ध? जानें विधि-नियम

त्रिपिंडी श्राद्ध पितरों की आत्मा की शांति के लिए किया जाता है।

यह श्राद्ध परिवार की पिछली तीन पीढ़ियों के लिए होता है।

अकाल मृत्यु, कम उम्र या वृद्धावस्था में दिवंगत आत्माओं के लिए यह श्राद्ध जरूरी है।

त्रिपिंडी श्राद्ध पंचमी, अष्टमी, एकादशी, त्रयोदशी, चतुर्दशी या अमावस्या पर किया जाता है।

यह श्राद्ध केवल त्र्यंबकेश्वर (नासिक) में ही किया जाता है।

अविवाहित पुरुष, पति-पत्नी और विधवा महिलाएं यह श्राद्ध कर सकते हैं।

त्रिपिंडी श्राद्ध से पूर्वजों को मोक्ष और परिवार को कल्याण प्राप्त होता है।