भारत के 8 दिग्गज वैज्ञानिक, जिन्होंने दुनियाभर में जमाई धाक

ए पी जे अब्दुल कलाम- कलाम भारत में मिसाइल मैन के नाम से भी जाने जाते हैं। 1962 में वे 'भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन' में शामिल हुए। प्रोजेक्ट डायरेक्टर के रूप में भारत की पहली स्वदेशी उपग्रह (SLV-3) मिसाइल बनाई। 1980 में कलाम ने रोहिणी उपग्रह को पृथ्वी की कक्षा के निकट स्थापित किया।

जयंत विष्णु नार्लीकर- जयंत विष्णु नार्लीकर भौतिकी के वैज्ञानिक हैं। उन्होंने ब्रह्मांड की उत्पत्ति की बिग बैंग थ्योरी के अलावा नये स्थायी अवस्था के सिद्धान्त (Steady State Theory) पर भी काम किया है। उन्होंने इस सिद्धांत के जनक फ्रेड हॉयल के साथ मिलकर काम किया।

विक्रम साराभाई: विक्रम अंबालाल साराभाई भारत के अंतरिक्ष अभियान के जनक कहे जाते हैं। एक तरह से उन्होंनें भारत के अंतरिक्ष प्रोग्राम की नींव रखी है। उन्होंने देश में कई अंतरिक्ष और शोध से जुड़े संस्थानों को खोला। उन्होंने आणविक ऊर्जा, इलेक्ट्रॉनिक्स और अन्य क्षेत्रों में योगदान दिया है।

डॉ जगदीश चंद्र बोस- बोस दुनिया के पहले ऐसे वैज्ञानिक थे, जिसने रेडियो और सूक्ष्म तरंगों पर काम किया। इसके अलावा वनस्पति विज्ञान में भी उन्होनें कई महत्वपूर्ण खोजें की। वे भारत के पहले वैज्ञानिक थे, जिन्हें अमेरिकी पेटेंट मिला। पूरी दुनिया में उन्हें रेडियो विज्ञान का पिता कहा जाता है।

होमी जहांगीर भाभा- डॉ. होमी जहांगीर भाभा के बिना भारतीय परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम की कल्पना ही नहीं की जा सकती। उन्हें 'आर्किटेक्ट ऑफ इंडियन एटॉमिक एनर्जी प्रोग्राम' भी कहा जाता है। उन्हीं की बदौलत 1974 में देश पहला परमाणु परीक्षण करने में सफल रहा।

सत्येंद्र नाथ बोस- भौतिक शास्त्र में बोसान और फर्मियान नाम बोस के नाम पर ही रखे गया। उन्होंने अपने समय के महान वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन के साथ मिलकर बोस-आइंस्टीन स्टेटिस्टिक्स की खोज की थी।

सुब्रमण्‍यम चंद्रशेखर- सुब्रमण्यम चंद्रशेखर को 1983 में भौतिक शास्त्र के लिए नोबेल पुरस्कार दिया गया। डॉ. सुब्रह्मण्यम चंद्रशेखर ने श्‍वेत बौने नाम के नक्षत्रों की खोज की थी। उनके द्वारा खोजे गए इन नक्षत्रों की सीमा को चंद्रशेखर सीमा कहा जाता है।

सीवी रमन- वेंकटरमन ने प्रकाश पर गहन अध्ययन किया। उनके आविष्कार को 'रमन-किरण' के रूप में जाना गया। रमन इफेक्ट स्पेक्ट्रम पदार्थों को पहचानने और उनकी अन्तरंग परमाणु योजना का ज्ञान प्राप्त करने का महत्वपूर्ण साधन के रूप में जाना गया।