9 महीने बाद धरती पर लौट रहीं सुनीता विलियम्स, ग्रैविटी कैसे बन सकती है चुनौती जानें
जब विलियम्स और विलमोर धरती पर उतरेंगे, तो उन्हें सीधे घर नहीं भेजा जाएगा। इसके बजाय, उनकी काफी इंटेंसिव मेडिकल जांच की जाएगी, ताकि लंबे समय तक वेटलेसनेस के प्रभाव का आकलन किया जा सके।
माइक्रोग्रैविटी में रहने की वजह से अंतरिक्ष यात्रियों की मांसपेशियां और हड्डियां कमजोर हो जाती हैं। इसलिए धरती पर लौटने के बाद उन्हें अपनी ताकत वापस हासिल करने में वक्त लगता है।
अंतरिक्ष में इतने लंबे समय तक रहने के कारण सुनीता विलियम्स और बुच विलमोर को रेडिएशन एक्सपोजर के खतरे से भी जूझना पड़ सकता है।
धरती की प्रोटेक्टिव एटमॉस्फेरिक लेयर के बिना कॉस्मिक रेडिएशन अंतरिक्ष यात्रियों के शरीर में प्रवेश कर सकती हैं। इससे कैंसर जैसी लंबे समय तक रहने वाली स्वास्थ्य समस्याओं का खतरा बढ़ जाता है।
ग्रैविटी न होने की वजह से स्पेस में दिल को ब्लड पंप करने के लिए ज्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ती। ऐसे में धरती पर वापस आने के बाद अंतरिक्ष यात्रियों में दिल से जुड़ी समस्याएं हो सकती हैं।
धरती की ग्रेविटी में वापस लौटने के बाद अंतरिक्ष यात्रियों को फिर से संतुलन बनाने, खड़े होने और चलने में परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।