क्या है नागा साधु और अघोरी साधु में अंतर?

इस बार दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक मेला "महाकुंभ" संगम नगरी प्रयागराज में आयोजित हो रहा है।

इस महाकुंभ में भाग लेने के लिए देश और दुनिया के कोने-कोने से नागा साधु और अघोरी साधु भी आएंगे।

नागा साधुओं को धर्म का रक्षक माना जाता है, जबकि अघोरी साधु अपनी अद्भुत और रहस्यमयी प्रथाओं के लिए जाने जाते हैं।

हंलकी दोनों साधू दिखने में एक जैसे होते हैं, लेकिन उनकी परंपराएं और ध्यान पद्धतियां पूरी तरह अलग हैं।

नागा साधु नागा साधुओं का मुख्य उद्देश्य धर्म की रक्षा करना और शास्त्रों के ज्ञान में निपुण होना है।

वे अखाड़ों से जुड़े हुए होते हैं और समाज की सेवा करते हैं साथ ही धर्म का प्रचार करते हैं।

ये साधू अपनी कठोर तपस्या और शारीरिक शक्ति के लिए जाने जाते हैं। नागा साधु अपने शरीर पर भस्म लगाते हैं।

अघोरी साधु अघोरी साधुओं को भगवान शिव का अनन्य भक्त माना जाता है।

वह हमेशा अपने साथ एक मानव खोपड़ी रखते हैं, जो उनकी भक्ति का प्रतीक है।

भगवान दत्तात्रेय को अघोरी संतों का गुरु माना जाता है, जिन्हें शिव, विष्णु और ब्रह्मा का अवतार कहा जाता है।

ये ऋषि दुनिया की आम परंपराओं से दूर रहकर जीवन और मृत्यु के रहस्यों को समझने में लगे रहते हैं।

नागा साधु धर्म और समाज के लिए काम करते हैं, जबकि अघोरी साधु अपने ध्यान में लीन रहते हैं और केवल भगवान शिव की पूजा करते हैं।