नागा साधु बनने की प्रक्रिया बेहद कठिन होती है। अखाड़ों द्वारा व्यक्ति को नागा साधु बनाया जाता है।
अखाड़ा समिति ये देखती है कि व्यक्ति साधु के योग्य है या नहीं ? इसके बाद उस व्यक्ति को अखाड़े में प्रवेश मिलता है।
नागा साधु बनने के लिए ब्रह्मचर्य के नियम का पालन करना अति आवश्यक होता है।
इस प्रक्रिया में 6 महीने से लेकर 1 साल तक का समय लग सकता है। इस परीक्षा में सफलता पाने के लिए साधक को 5 गुरु से दीक्षा प्राप्त करनी होती है। शिव, विष्णु, शक्ति, सूर्य और गणेश द्वारा, जिन्हें पंच देव भी कहते हैं।
व्यक्ति सांसारिक जीवन का त्याग करके अध्यात्मिक जीवन में प्रवेश करता है और स्वयं का पिंडदान करता है।
नागा साधु भिक्षा में प्राप्त हुए भोजन का सेवन करते हैं। अगर किसी दिन साधु को भोजन नहीं मिलता है, तो उन्हें बिना भोजन के रहना पड़ता है।
नागा साधु वस्त्र धारण नहीं करते। वे शरीर को ढकने के लिए भस्म लगाते हैं। वे सोने के लिए बिस्तर का इस्तेमाल नहीं करते।
नागा साधु समाज के लोगों के सामने सिर नहीं झुकाते और न ही जीवन में कभी भी किसी की निंदा नहीं करते हैं।