जानलेवा होने के बाद भी क्यों जारी है जल्लीकट्टू ?
जल्लीकट्टू तमिलनाडु की संस्कृति का एक अहम हिस्सा है। यह आयोजन पोंगल महोत्सव के दौरान मनाया जाता है।
इसमें भाग लेने वाले लोग अपनी बहादुरी और कौशल का प्रदर्शन करते हैं। जल्लीकट्टू तमिलनाडु की कृषि जड़ों से जुड़ा हुआ है।
यह आयोजन सिर्फ एक खेल नहीं है, बल्कि एक सांस्कृतिक संदेश भी है।
ये महोत्सव प्राचीन परंपराओं को संरक्षित करता है और इससे गांववासियों के बीच एकता की भावना बढ़ती है।
जल्लीकट्टू में उपयोग किए गए बैल अक्सर इस आयोजन के लिए विशेष रूप से पाले जाते हैं।
इस साल का जल्लीकट्टू आयोजन 14 जनवरी, 2025 को अवणीयापुरम गांव में श्री भत्रकालीअम्मन मंदिर के पास हुआ।
आयोजन में 1,100 से अधिक बैल और लगभग 900 बैल तामर (बैल पकड़ने वाले) ने भाग लिया।
इस साल के जल्लीकट्टू में अच्छा प्रदर्शन करने वाले बैल के मालिक मलयांडी को 11 लाख रुपये की कीमत वाला एक ट्रैक्टर मिला।
वहीं, सर्वश्रेष्ठ बैल तामर को 8 लाख रुपये की कीमत वाली एक कार दी गई।
जल्लीकट्टू का आयोजन 14 जनवरी से शुरु होकर 15 व 16 जनवरी को भी मनाया जाएगा