आखिर गुजिया कैसे बनी होली की पहचान जानें-

कई इतिहासकारों का ऐसा मानना है कि गुजिया तुर्की की फेमस मिठाई बकलावा (Baklava) से प्रेरित है।

इतिहासकारों की मानें तो गुजिया का जिक्र सबसे पहले 13वीं शताब्दी में मिलता है, जब इसे धूप में सुखाकर खाया जाता था।

ऐसा माना जाता है कि गुजिया सबसे पहले उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड में बनाई गई थी। सबसे पहले बुंदेलखंड में ही मैदे और खोया की गुजिया बनाई गई थी।

मान्यताओं के मुताबिक होली पर गुजिया बनाने की परंपरा वृंदावन से शुरू हुई। मौजूद राधा रमण मंदिर में सबसे पहले गुजिया का ही भोग लगाया गया था।

सन् 1542 में बना यह मंदिर देश के सबसे पुराने मंदिरों में से एक है और कहा जाता है कि यही पर सबसे पहले होली के दिन यानी फाल्गुन माह की पूर्णिमा पर भगवान कृष्ण को आटे की लोई में चाशनी भरकर भोग लगाया था।