कर्म पर ध्यान दो, फल की इच्छा मत करो" जैसा कर्म करते हो, वैसा ही फल मिलता है, इसलिए कर्मयोगी को फल की चिंता नहीं करनी चाहिए।
आत्मा अमर है, इसलिए मृत्यु से डरना नहीं चाहिए। बुद्धिमान व्यक्ति ज्ञान और कर्म दोनों को समान मानता है और संतुलन बनाए रखता है।
सत्य के मार्ग पर चलने वाला कभी नहीं हारता है। अपना कर्तव्य निभाने के लिए आगे बढ़ना चाहिए।
क्रोध, काम और लोभ जैसी बुरी प्रवृत्तियों से दूर रहना चाहिए, क्योंकि ये विनाश की ओर ले जाती हैं। तनाव से बचने के लिए मुस्कुराना और शांत रहना आवश्यक है।
केवल भाग्य के भरोसे नहीं रहना चाहिए, बल्कि पुरुषार्थ करना चाहिए। मेहनत करने वाले व्यक्ति का भाग्य भी साथ देता है।
हर कार्य बुद्धि और विवेक से करना चाहिए, जिससे सफलता मिलती है और मानसिक शांति बनी रहती है।
व्यक्ति को अपने गुणों और कमियों को जानना चाहिए, जिससे वह अपने व्यक्तित्व का निर्माण करके सफलता प्राप्त कर सकता है।