संसार को आगे बढ़ाने के लिए ब्रम्हा जी ने अपने शरीर के दो भाग किए, जिसमें पहला ‘का’ और दूसरा ‘या’ बना।
इसी काया से पुरुष तत्व और स्त्री तत्व ने जन्म लिया।
‘का’ बना पुरुष मनु और ‘या’ बनी स्त्री शतरुपा
ब्रम्हा जी ने दिए सांसारिक ज्ञान के अनुसार दोनों ने एक-दूसरे को स्वीकार किया।
धर्म ग्रंथों में माना जाता है कि सबसे पहला विवाह मनु और शतरुपा ने जरुर किया, लेकिन वह नीतिसंगत नहीं था।
विवाह संस्कार की परंपरा ऋषि श्वेतकेतु ने प्रारंभ की थी।
कहा जाता है कि हिंदू धर्म में पहला पाणिग्रहण (विवाह) शिव और माता पार्वती का हुआ।