कौन से मुस्लिम नहीं मनाते
Eid Milad-un-Nab
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Eid Milad-un-Nabi पैगंबर हजरत मोहम्मद साहब की पैदाइश का दिन माना जाता है।
यह दिन मुस्लिम समुदाय में मोहम्मद साहब के जीवन और उनकी शिक्षाओं को याद करने के लिए खास है।
इस मौके पर बरेलवी मुस्लिन भव्य जुलूस, महफिल-ए-मिलाद और नात-ए-पैगंबर पढ़ते हैं।
घर और मस्जिदों में रोशनी की जाती है और गरीबों को खाने-पीने की चीजें बांटी जाती हैं।
ज्यादातर सुन्नी बरेलवी, सुन्नी अहले हदीस (कुछ समुदाय) और शिया मुस्लिम इस दिन को जश्न की तरह मनाते हैं।
सुन्नी अहले हदीस मुस्लिम बहुत साधारण तरीके से इसे मनाते हैं।
देवबंदी मुस्लिम Eid Milad-un-Nabi नहीं मानते, वे इसे इस्लाम में नई शुरू हुई परंपरा मानते हैं।
देवबंदियों के मुताबिक पैगंबर साहब के जमाने में ऐसा जश्न नहीं होता था।
Eid Milad-un-Nabi कुछ मुस्लिमों के लिए खुशी और इबादत का दिन है, जबकि कुछ इसे नहीं मानते।