मुख्य पूजा: माँ दुर्गा की प्रतिमा या चित्र के सामने फल, फूल, दीपक और नारियल अर्पित किया जाता है। उद्देश्य: बुराई पर अच्छाई की जीत, घर-परिवार की सुरक्षा।
रावण की प्रतिमा जलाकर बुराई पर धर्म की जीत का प्रतीक मनाया जाता है। कुछ जगहों पर भगवान राम की मूर्ति के समक्ष विशेष पूजा भी होती है।
खासकर व्यवसायिक लोग और वाहन मालिक दशहरे पर अपने वाहनों की पूजा करते हैं। वाहन की लंबी उम्र और सुरक्षित यात्रा के लिए। पूजा में वाहन पर रंग, फूल, नारियल, हल्दी और चावल अर्पित किया जाता है।
दुकान, फैक्ट्री, कंप्यूटर, मशीनरी आदि की पूजा होती है। इससे व्यवसाय में सफलता, उपकरणों की सुरक्षा और आर्थिक उन्नति। इस दिन व्यवसायिक लोग अपने नए खाता-बही या मशीनरी को भी पूजा में शामिल करते हैं।
कुछ क्षेत्रीय परंपराओं में खेल, कृषि उपकरण या हथियार भी पूजा के समय सजाए जाते हैं। इससे उपकरणों की लंबी उम्र और कार्य में सफलता।
मंदिरों और धार्मिक आयोजनों में रथों, झांकियों और वाहन रथों की पूजा भी होती है। यह बुराई पर धर्म की विजय का प्रतीक माना जाता है।