जिसके भरोसे बेखौफ बढ़ते थे जवान,अब वही "ताशा" सदमे में !

10 दिसंबर को नेशनल हाईवे-44 पर बांदरी के पास बम स्क्वॉड—डॉग स्क्वॉड की गाड़ी और कंटेनर की जोरदार भिड़ंत में मुरैना पुलिस के 4 जवानों की मौके पर ही मौत हो गई।

ये सभी जवान नक्सल विरोधी अभियान की अपनी ड्यूटी कर बालाघाट से मुरैना लौट रहे थे।

इस हादसे में केवल डाबरमैन ब्रीड की फीमेल डॉग 'ताशा' थी, जो जिंदा बची थी। हादसे के दौरान 'ताशा' बस के पिछले हिस्से में बने अपने पिंजरे में सुरक्षित थी। उसे एक खरोंच भी नहीं आई।

इस हादसे में उसने अपना सबकुछ खो दिया, क्योंकि उसके हैंडलर विनोद शर्मा की भी इसमें दर्दनाक मौत हो गई थी।

18 दिसंबर 2018 को 40 दिन की ताशा को 23वीं बटालियन SAF में शामिल किया गया था। तभी से "ताशा" की जिम्मेदारी मास्टर विनोद शर्मा संभाल रहे थे।

18 दिसंबर गुरुवार को "ताशा" का जन्मदिन है। पिछले सात सालों में ऐसा पहली बार ऐसा हो रहा है जब उसके जन्मदिन पर उसका मास्टर साथ नहीं है।

"ताशा" अब खोई-खोई सी रहती है। दूसरे डॉग्स चौकन्ने रहते हैं, वहीं ताशा सदमे में है। जैसे वो भीड़ में अपने मास्टर को ढूंढ रही हो।

बालाघाट से लौटते वक्त" ताशा" ने जो स्वेटर पहना था, वह भी उसके हैंडलर विनोद ने ऑनलाइन मंगवाया था।