2–3 दिसंबर 1984 की रात, यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री से जहरीली गैस लीक हुई। यह दुर्घटना अब तक की सबसे गंभीर फैक्टरी दुर्घटनाओं में गिनी जाती है।
प्लांट से मिथाइल आइसोसाइनाइट (MIC) गैस बाहर निकली। कुछ ही मिनटों में शहर के कई इलाके ढक गए। कई लोग इसकी चपेट में आए और जान गंवाई।
कई हजारों लोग तुरंत प्रभावित हुए और आंकड़ों के अनुसार हजारों लोगों की मौत हुई और कई प्रभावित हुए।
बच्चों, बुजुर्गों और परिवारों पर सबसे बड़ा असर पड़ा। हर तरफ मदद के लिए चीख-पुकार मची थी।
41 साल बाद भी पीड़ित सांस, आंख और शरीर की कई बीमारियों से जूझ रहे हैं।
फैक्टरी बंद होने के बाद भी कई टन जहरीला कचरा वहीं पड़ा रहा। इससे जमीन और पानी दूषित हुआ। सालों बाद इसे नष्ट किया गया।
पीड़ित आज भी सही मुआवजे, इलाज और पूरी सफाई की मांग कर रहे हैं। ये त्रासदी सिखाती है कि लापरवाही कितनी भारी पड़ती है।