Diwali 2023 Muhurat: हिन्दू धर्म के कार्तिक मास में मनाए जाने वाले त्यौहार दीपावली के बारे में जाने सब कुछ। पूजा के शुभ मुहूर्त के बारे में लें सारी जानकारी। जानिए क्या कुछ कहता है, इस साल की दिवाली पर हमारा हिन्दू पंचांग।
दिवाली एक सांस्कृतिक त्यौहार है। यह अक्सर अक्टूबर या नवम्बर के महीने में मनाया जाता है। इस साल दिवाली 12 नवम्बर को मनाया जायेगा।
दिवाली पर देवी लक्ष्मी की विशेष पूजा होती है जो कि कार्तिक महीने के अमावस्या के दिन होती है। बता दें, देवी लक्ष्मी की पूजा प्रदोष काल में दिवाली के दिन होती है।
ऐसा माना जाता है कि अमावस्या की रात को लक्ष्मी देवी पृथ्वी पर भ्रमण करती हैं। गौरतलब है कि सही समय पर पूजन करने से माता लक्ष्मी का घर में वास होता है। तो आईए जानते हैं, पूजा का शुभ मुहूर्त और विधि।
दिवाली शुभ मुहूर्त
पंचांग के अनुसार, इस साल लक्ष्मी पूजा का शुभ समय शाम 5:39 से लेकर शाम के 7:35 तक है। बता दें कि यह समय प्रदोष काल का माना गया है। इस समय पर पूजा करना अति लाभकारी होगा। सनातन कैलेंडर में कहा गया है कि दिवाली हर साल अमावस्या या कार्तिक महीने के पंद्रहवें दिन मनाई जाती है।
दिवाली का महत्व
दिवाली उल्लास का त्यौहार है। इस वार्षिक उत्सव में हिन्दू धर्म की धन की देवी लक्ष्मी की पूजा को महत्ता दी जाती है। इस दिन पूजा करने से माता लक्ष्मी की कृपा सदैव बनी रहती है। जीवन में धन की कभी कमी नहीं होती है।
यह एकजुटता का भी पर्व है, क्योंकि लोग आपसी मतभेद को भुला कर एक दुसरे के घर जाते हैं। इसे दिवाली मिलन कहते हैं।
ऐसे मनाएं दिवाली
इस दिन को प्रकाश पर्व भी कहा जाता है। इस त्योहार के दौरान,लोग अपने घरों को तेल के दीयों और रंग-बिरंगी रंगोली से सजाते हैं।
आज कल इलेक्ट्रिक लाईट और झालरों से घर को मनमोहक बना देते हैं। आतिशबाजी से आकाश जगमगा उठता है, जो अंधेरे पर प्रकाश की जीत का प्रतीक है।
परिवार धार्मिक अनुष्ठान और प्रार्थना करने के लिए इकट्ठा होते हैं। लोग दिवाली मना कर समृद्धि और खुशहाली का आशीर्वाद मांगते हैं, जो खुशी, एकजुटता और बुराई पर अच्छाई की जीत का समय है।
जानिए पूजा करने का सही तरीका
पंडितों एवं शास्त्रों के अनुसार पूजन का सबसे अच्छा तरीका यह है कि लक्ष्मी देवी की मूर्ति घर में स्थापित करें।
उन पर फल-फुल, नैवेद्य, धूप-दीप और माला चढ़ाएं।
देवी लक्ष्मी की पसंद की वस्तुएं अर्पित करें।
साथ ही, अपनी पारिवारिक रीति-रिवाज से शुद्ध मन से देवी की आराधना करें।
बड़ों का पांव छूकर आशीर्वाद लें।
अलग-अलग हैं रीति-रिवाज
हालांकि हरेक क्षेत्र में पूजा की विधि अलग-अलग होती है और लोग अपने अनुसार लक्ष्मी देवी की पूजा करते हैं।
यह हिंदू, जैन और सिख मंदिरों और घरों की रोशनी का प्रतीक है। यह “मानसून की बारिश की सफाई, शुद्धिकरण कार्रवाई की पुनर्रचना” का प्रतीक है। साथ ही, दिवाली को “रोशनी का त्योहार” के रूप में भी जाना जाता है।
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