Vivek Tankha On MP Police: इंदौर के शासकीय लॉ कॉलेज की लाइब्रेरी में विवादित किताब मिलने वाले मालले में सुप्रीम कोर्ट ने कॉलेज के प्रिंसिपल को राहत दी है. कोर्ट ने प्रो. इनामुर्रहमान के खिलाफ दर्ज मामले को रद्द करने के साथ कार्रवाई बंद करने का आदेश दिए थे. इस मामले पर अब कांग्रेस नेता और राज्यसभा सांसद विवेक तन्खा का बयान सामने आया है. उन्होंने एपमी पुलिस की कार्रवाई को निंदनीय बताया और माफी मांगने के लिए कहा.
MP के DGP माफी मांगें
सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत करता हूं जिसमें Govt Law College Indore के प्रिंसिपल के खिलाफ FIR को रद्द किया। MP पुलिस के निंदनीय कृत्य जिससे वो law अध्यापको और छात्रों को दबाने की कोशिश की थी उसके लिए सार्वजनिक माफी मांगे और दोबारा न दोहराने का आश्वासन दें। @DGP_MP pic.twitter.com/8QBxJzBTOU
— Vivek Tankha (@VTankha) May 16, 2024
अब राज्यसभा सदस्य विवेक तन्खा (Vivek Tankha) ने बयान दिया कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत करता हूं. जिसमें गवर्नमेंट लॉ कॉलेज इंदौर के प्रिंसिपल के खिलाफ एफआईआर को रद्द किया. एमपी पुलिस के निंदनीय कृत्य जिससे लॉ अध्यापकों और छात्रों को दबाने की कोशिश की थी उसके लिए एमपी पुलिस और DGP MP सार्वजनिक माफी मांगे और दोबारा न दोहराने का आश्वासन दें.
ये है पूरा मामला
दरअसल इंदौर के एक सरकारी लॉ कॉलेज में दिसंबर 2022 को शिक्षकों पर धार्मिक कट्टरता फैलाने का आरोप लगाया गया था. इस मामले में पुलिस ने छात्रों के द्वारा दिए गए सबूतों के आधार पर कॉलेज के प्रिंसिपल और एक प्रोफेसर के खिलााफ केस दर्ज किया था. छात्रों ने एक विवादित किताब लायब्रेरी में होने की बात कही थी. इस किताब के लेखक डॉ.फरहत खान हैं. आरोप थे कि ये किताब सामूहिक हिंसा एवं दाण्डिक न्याय पद्धति का लेखन संलग्न की गई. छात्रों ने पुलिस को बताया कि पुस्तक को इंदौर शासकीय विधि महाविद्यालय के मुस्लिम शिक्षकों द्वारा जानबूझ कर छात्रों को रेफर किया जा गया.
प्रोफेसर हुए थे निलंबित
इस मामले में किताब के लेखक प्रिंसिपल, प्रोफेसर समेत चार के खिलाफ पुलिस ने केस दर्ज किया था. प्रिंसिपल रहमान को निलंबित कर उच्च शिक्षा विभाग ने विभागीय जांच बैठा दी थी. तब से रहमान निलंबित हैं और सुप्रीम कोर्ट से अग्रिम जमानत पर थे.
अब आया ये फैसला
सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court on MP High Court) ने इस मामले में अंतरिम रोक लगाने से इनकार करने के लिए मध्यप्रदेश हाई कोर्ट को भी फटकार लगाई. जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस संदीप मेहता की बेंच ने सुनवाई के दौरान एफआईआर को रद्द करते हुए कहा कि यह मामला सिलेबस के बारे में है. सुनवाई के दौरान SC ने कहा कि राज्य ऐसे मामले में उत्पीड़न करने के लिए इतना उत्सुक क्यों है? वह (प्रो.इनामुर्रहमान) पहले से ही अग्रिम जमानत पर बाहर थे. ये पुस्तक तो सुप्रीम कोर्ट की लाइब्रेरी में भी मिल सकती है.