नई दिल्ली। यदि आप भी गठ बंधन में बंधने की तैयारी कर रहे हैं तो हम आपको बताने जा रहे हैं नवंबर और दिसंबर में आने वाले विवाह मुहूर्तो की लिस्ट। जिसे आप अभी से अपनी डायरी में नोट कर लें। ताकि आपको किसी भी तरह की परेशानी न हों। सनातन धर्म में ज्योतिष विद्या का बहुत महत्व है। हम हर शुभ कार्य को एक विशेष समय पर करते हैं। वह विशेष समय हमारे ऋषि मुनियों द्वारा शोधित समय काल होता है, जिसे हम मुहूर्त कहते हैं। इसी तहर विवाह के लिए भी हमारे ऋषियों ने समय की गणना की है। पंडित राम गोविंद शास्त्री के अनुसार मुहूर्त के बारे में मुहूर्त चिंतामणि, मुहूर्त गणपति ,मुहूर्त सागर, मानसागरी आदि ग्रंथों में बताया गया है।
देव उठनी ग्यारस पर इस बार नहीं बजेगी शहनाई – Marriage shubh muhurat 2022
पंडित राम गोविंद शास्त्री के अनुसार इस 29 सितंबर से शुक्र अस्त हो रहे हैं जो 20 नवंबर तक इसी स्थिति में रहेंगे।
देव उठनी एकादशी 4 नवंबर को है। लेकिन इस दौरान सूर्य की स्थिति विवाह के लिए उचित नहीं है। ज्योतिषाचार्यों की मानें तो सूर्य इस दौरान वृश्चिक के सूर्य न होने के कारण देव उठने के वाबजूद भी शादियां नहीं हो पाएंगी।
18 नवंबर को सूर्य देव वृश्चिक राशि में प्रवेश करेंगे।
लेकिन इस दौरान शुक्र अस्त रहेंगे तो फिर विवाह नहीं हो पाएंगे।
लेकिन जैसे ही 25 नवंबर को शुक्र उदित हो जाएंगे। इस दौरान ग्रह बाल दोष होने के कारण तीन दिन तक विवाह नहीं होंगे। इसके बाद विवाह कार्य शुरू हो जाएंगे।
ये रहे नवंबर के विवाह मुहूर्त – Vivah Muhurat 2022
विवाह मुहूर्त नवंबर – Vivah Muhurat 2022 november
25, 26, 27
विवाह मुहूर्त दिसंबर –December vivah muhurat 2022
2, 3, 4, 7, 6, 8, 15
इतने दिन तक बंद होंगे शुभ काम –
आपको बता दें पंडित राम गोविंद शास्त्री का कहना है कि लोक विजय पंचांग के अनुसार सुख और भौतिक समृद्धि के कारक शुक्र ग्रह 29 सितंबर को अस्त हैं। स्थान के अनुसार किसी भी ग्रह के गोचर में 6 से 7 दिन का अंतर आ जाता है। इसी के चलते लोक विजय पंचांग के अनुसार 29 सितंबर को अस्त हो रहे शुक्र 20 नवंबर तक इसी स्थिति में रहेंगें। ज्योतिषाचार्यों की मानें तो गुरू और शुक्र दो ऐसे ग्रह हैं जो शुभ कामों की शुरूआत के लिए उदित अवस्था में जरूरी माने जाते हैं।
किसे कहते हैं मुर्हूत —
सनातन धर्म में ज्योतिष विद्या का बहुत महत्व है। हम हर शुभ कार्य को एक विशेष समय पर करते हैं। वह विशेष समय हमारे ऋषि मुनियों द्वारा शोधित समय काल होता है, जिसे हम मुहूर्त कहते हैं। इसी तहर विवाह के लिए भी हमारे ऋषियों ने समय की गणना की है। मुहूर्त के बारे में मुहूर्त चिंतामणि, मुहूर्त गणपति ,मुहूर्त सागर, मानसागरी आदि ग्रंथों में बताया गया है।
विवाह के लिए इस तरह होनी चाहिए ग्रहों की चाल —
विवाह के समय की बात करें तो सूर्य देव मेष, वृष, मिथुन, वृश्चिक, मकर एवं कुंभ राशि में होना चाहिए। परंतु इस समय काल में भी शुक्र और गुरु अस्त नहीं होने चाहिए।
इस दौरान विवाह होते हैं वर्जित —
विवाह के न होने वाले समय की बात करें तो कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी से शुक्ल पक्ष की परिवा तक इन 5 दिनों में विवाह नहीं किया जाता है।
कौन से नक्षत्र होते हैं शुभ —
अगर हम नक्षत्र पर ध्यान दें तो रोहिणी, मृगशिरा, मघा, उत्तराफाल्गुनी, स्वाति, अनुराधा, मूल, उत्तर, भाद्रपद एवं रेवती तथा कात्यायन पद्धति के अनुसार अश्वनी, हस्त, चित्रा, श्रवण एवं धनिष्ठा नक्षत्र में विवाह किया जा सकता है। इस प्रकार देवशयन की समयावधि में गुरु या शुक्र के अस्त होने पर कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी से शुक्ल पक्ष की परिवा तक विवाह संबंध नहीं किए जाते हैं।
क्या होता है देव शयन —
देव शयन का अर्थ है भगवान विष्णु के सोने का समय। इस समय को चौमासा भी कहते हैं। कहा जाता है कि भगवान इन 4 महीनों में पाताल लोक में बलि के द्वार पर विश्राम करते हैं। यह समय अषाढ शुक्ल पक्ष की एकादशी से प्रारंभ होकर कार्तिक शुक्ल पक्ष की एकादशी तक का है। भगवान विष्णु कार्तिक शुक्ल पक्ष की एकादशी को क्षीरसागर लौटते हैं। आषाढ़ शुक्ल पक्ष की एकादशी को देवशयनी एकादशी और कार्तिक शुक्ल पक्ष की एकादशी को देव उठनी एकादशी भी कहते हैं। इस समय के अंतराल में विवाह आदि शुभ कार्यों के मुहूर्त पूरी तरह से बंद रहते हैं।