नई दिल्ली। इस वर्ष विश्वकर्मा जयंती 17 सिंतबर Vishwakarma Jayanti 2021 Date यानि शुक्रवार का मनाई जाएगी। इस दिन गुरू भी कन्या राशि मेें प्रवेश करेंगे। कन्या संक्रांति को ही विश्वकर्मा जयंती मनाई जाती है। इस दिन को भगवान विश्वकर्मा की जयंती के रूप में मनाया जाएगा।
स्वर्ग लोक बनाया भगवान परशुराम ने
पंडित रामगोविन्द शास्त्री के अनुसार Vishwakarma Jayanti 2021 Date भगवान विश्वकर्मा को दुनिया का सबसे बड़ा इंजीनियर और वास्तुकार माना जाता है। धार्मिक मान्यता के उन्होंने ही इंद्रपुरी, द्वारिका, हस्तिनापुर, स्वर्गलोक, लंका, जगन्नाथपुरी, भगवान शंकर का त्रिशुल, विष्णु का सुदर्शन चक्र आदि का निर्माण किया था।
पौराणिक शास्त्रों में भगवान विश्वकर्मा का महत्व
ज्योतिषाचार्यो की मानें तो पौराणिक कथाओं के अनुसार इस समस्त ब्रह्मांड की रचना भी विश्वकर्मा जी ने की है। ऋग्वेद के 10 वे अध्याय के 121 वे एक सूक्त लिखा है। जिसके अनुसार विश्वकर्मा जी के द्वारा ही धरती, आकाश और जल की रचना की गई है। विश्वकर्मा पुराण के अनुसार आदि नारायण ने सर्वप्रथम ब्रह्मा जी और फिर विश्वकर्मा जी की रचना की।
मां पार्वती के महल का निर्माण कराया था शिवजी ने
मां पार्वती के लिए भगवान शिव ने एक महल का निर्माण करवाने की सोची। जिसकी जिम्मेदारी भी शिवजी ने भगवान विश्वकर्मा को ही दी। तब भगवान विश्वकर्मा मां पार्वती के लिए सोने का महल बना दिया और इसकी पूजा के लिए भगवान शिव ने रावण का बुलाया था। पर महल को देखकर रावण इतना आकर्षित हुआ कि दक्षिणा में वही महल ही मांग लिया था। इस दौरान भगवान शिव महल रावण को सौंपकर कैलाश पर्वत पर चले गए थे। इसके अलावा भगवान विश्वकर्मा ने पांडवों के लिए इंद्रप्रस्थ, कौरव वंश के हस्तिनापुर और भगवान कृष्ण के द्वारका का निर्माण भी किया था।
सभी पौराणिक रचनाएं इन्हीं की देन
ऐसी मान्यता है कि सभी पौराणिक संरचनाएं, भगवान विश्वकर्मा द्वारा ही की गई हैं। इनका जन्म देवताओं और राक्षसों के बीच हुए समुद्र मंथन के दौरान माना जाता है। देवी—देवताओं के Vishwakarma Jayanti 2021 Date सभी और शस्त्र भगवान विश्वकर्मा की ही देन हैं। यहां तक की ऐसा माना जाता है कि वज्र का निर्माण भी इन्हीं के द्वारा किया है। इतना ही नहीं लंका का निर्माण भी इन्हीं के द्वारा माना जाता है।
पूजा विधि
इस दिन विशेष रूप से मशीनों और औजारों का पूजन जरूर किया जाता है। इसके लिए सुबह स्नान-ध्यान के बाद अपने औजारों, मशीन आदि की सफाई करके विश्वकर्मा जी की प्रतिमा की पूजा करें। उन्हें फल-फूल चढ़ाएं। पूजा के दौरान “ॐ विश्वकर्मणे नमः” मंत्र का एक माला जप अवश्य करें। मंत्र समाप्त होने पर इसी मंत्र से हवन करके भगवान विश्वकर्मा की आरती करें व प्रसाद वितरित करें।