Boycott Elections in CG: छत्तीसगढ़ (CG) में लोकसभा चुनाव से पहले गरियाबंद जिले के कोसूमकानी के ग्रामीणों ने चुनाव बहिष्कार करने का मन बना लिया है, इस जिले के लोग चुनाव नहीं चाहते हैं, नहीं चाहते की कोई नेता इस बार चुनाव लड़े।
इसी को लेकर ये ग्रामीण एसडीएम दफ्तर पहुंचे और चुनाव के बहिष्कार (Boycott Elections) को लेकर लिखित ज्ञापन सौंप दिया। असल में ये लोग ऐसी जन सुविधाओं की मांग कर रहे थे। जो मतदान के लिए जरूरी हैं, पर इनकी मांग पूरी नहीं हुई है।
इससे आक्रोशित ग्रामीणों ने पहले हस्ताक्षर अभियान चलाया फिर आम सहमति बना कर हस्ताक्षर किया। लेकिन ये ग्रामीण किन जन सुविधाओं की मांग कर रहे थे?
क्या है मामला?
छत्तीसगढ़ (CG) के गरियाबंद जिले का कोसूमकानी ग्राम 1994 में ग्राम पंचायत बना, लेकिन आज भी गांव के लोगों को 2 किमी दूर पैदल चलकर मतदान के लिए जाना होता है। मतदान बूथ दहीगांव पंचायत में बना हुआ है बूथ में मतदान के लिए जाना होता है पर ग्रामीणों का आरोप है कि इस बूथ पर उनके साथ भेदभाव होता है
स्थानीय वोटर के मतदान कराने के बाद ही कोसूमकानी वालों की बारी आती है। कई बार रात 8 बजे तक जागने के बावजूद उन्हें मतदान नहीं कर पाते।
वोट डालेंगे तो अपने पंचायत के बूथ में
ग्रामीणों ने बताया कि पिछले विधानसभा चुनाव से उनके पंचायत में मतदान केंद्र खोलने कई बार ज्ञापन प्रशासन को दिया जा चुका है। ग्रामीणों ने कहा कि इस बार वोट डालेंगे तो अपने पंचायत में बने बूथ में, नहीं तो इस चुनाव का बहिष्कार करेंगे।
ग्रामीणों ने सोमवार को सौंपे जाने वाले ज्ञापन से पहले बैठक कर हस्ताक्षर अभियान चलाया था। इसमें आश्रित ग्राम उपरपीठा की भी सहमति कोसमकानी ग्रामीणों के साथ बन गई है।
आयोग के फरमान के बाद रुक गई प्रक्रिया
वर्तमान में कोसूमकानी में 406 मतदाता हैं, इस पंचायत के आश्रित ग्राम उपरपीठा के 210 मतदाता डूमरबहाल के बूथ में मतदान के लिए जाते हैं। ग्रामीणों की मांग पर लोकसभा चुनाव घोषित होने से पहले तहसील स्तर पर प्रस्ताव बनाकर कोसूमकानी में बूथ बनाने की प्रक्रिया चल रही थी।
इसी बीच राज्य स्तर पर आयोग ने फरमान जारी कर बगैर किसी तब्दीली के विधानसभा में बने बूथ सेटअप के आधार पर चुनाव कराने को कह दिया।
फसल बीमा से भी वंचित
कोसूमकानी में 100 से ज्यादा ऐसे किसान है, जिनका कृषि लोन के साथ फसल बीमा हुआ था पर कम वर्षा के कारण उत्पादन प्रभावित हुआ तो ग्रामीण धान नहीं बेच पाए।
पटवारी के क्रॉप कटिंग और कृषि विभाग के पंचनामा के आधार पर उत्पादन प्रभावितों के दायरे में भी आ गए, लेकिन एन वक्त में फसल बीमा योजना के पोर्टल से रेंडम नंबर जारी नहीं हुआ।
सिस्टम की इसी खामी के कारण प्रभावितों का रिपोर्ट ऑनलाइन नहीं चढ़ा और अब फसल बीमा की राशि से भी वंचित कर दिया गया। इस बात से भी ग्रामीण में आक्रोश हैं, प्रक्रिया के समय किसान बार-बार राजस्व दफ्तर का चक्कर लगाए, पर उन्हें बीमा की राशि अब तक नहीं मिली।
इसलिए ये ग्रामीण चुनाव का बहिष्कार (Boycott Elections) कर रहे हैं ।