पुणे। स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी टाइप-1 (SMA Type-1) से जूझ रही 11 महीने की वेदिका शिंदे Vedika Shinde आखिरकार जिंदगी से हार गई। पुणे की वेदिका को दुर्लभ आनुवंशिक बीमारी थी उसे बचाने के लिए तमाम कोशिशें की गईं थीं, यहां तक की उसे 16 करोड़ रुपये का इंजेक्शन भी लगाया गया था लेकिन उसे बचाया नहीं जा सका।
बता दें कि, इस बीमारी के इलाज के लिए 16 करोड़ का इंजेक्शन खरीदना पड़ता है। वेदिका के मां-बाप ने क्राउड फंडिंग से 16 करोड़ जमा भी किए। पुणे के प्राइवेट असपताल में जून महीने में वेदिका Vedika Shinde को ज़ोलगेन्स्मा नाम की महंगी वैक्सीन दी गई। इतनी कोशिशों के बाद भी वेदिका की जान नहीं बचाई जा सकी। जिसको लेकर पूरे पुणे में शोक की लहर ढूढ़ गयी है।