हाइलाइट्स
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मेनका गांधी 6 बार और वरुण 3 बार के सांसद
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वरुण को सपा से टिकट का ऑफर
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वरुण सरकार और सिस्टम पर उठाते रहे सवाल
Varun Gandhi Next Step: उत्तर प्रदेश में बीजेपी के अंदर जबरदस्त सियासत गर्माया हुई है। बीजेपी ने इस बार वरूण गांधी (Varun Gandhi ) का टिकट काट दिया है।
हालांकि वरुण ने पीलीभीत लोकसभा सीट से दावेदारी जताते हुए नामांकन फॉर्म खरीद लिया था। उनका यह कदम अब कितना आगे बढ़ता है, यह देखना होगा।
हालांकि, मीडिया रिपोर्ट बता रही हैं कि वरुण को पार्टी से टिकट नहीं मिला तो वे निर्दलीय चुनाव लड़ सकते हैं। उनके पास सपा का भी ऑफर है। अब वरुण (Varun Gandhi ) क्या करेंगे, इस पर सबकी नजर है।
पीलीभीत बीजेपी से जितिन प्रसाद को मैदान में उतारा
यहां बात दें रविवार की रात यानी होलिका दहन के रोज बीजेपी ने अपनी जंबो 111 लोकसभा उम्मीदवारों की सूची जारी की।
जिसमें पीलीभीत लोकसभा समेत 13 लोकसभा सीटों पर उम्मीदवारों के नामों का ऐलान किया। पीलीभीत से राज्य सरकार के मंत्री जितिन प्रसाद को टिकट दिया गया है।
इस सूची में सुल्तानपुर से मेनका गांधी को बीजेपी ने मैदान में उतारा है। मेनका यहां से वर्तमान में सांसद हैं। वरूण गांधी पीलीभीत से पिछले चुनाव में जीते थे और उम्मीद लगाए थे कि उन्हें इस बार भी पार्टी टिकट देगी।
वरुण ने नामांकन पत्र खरीदा
वरुण 3 बार से बीजेपी सांसद हैं। एक तरह से बीजेपी में रहते हुए भी पार्टी से दूर हैं। वर्तमान में उनके पास पार्टी और सरकार का कोई काम नहीं है।
वरुण ने पार्टी की गाइडलाइन को तोड़ते हुए नामांकन फॉर्म तो खरीद लिया है। लेकिन अब वे उसका इस्तेमाल कैसे करते हैं, इस पर सबकी नजर है।
पीलीभीत लोकसभा सीट वरुण गांधी का जाना पहचाना संसदीय क्षेत्र है। वहां उनका प्रभाव भी अच्छा है। इस सबके बाद भी वरुण पार्टी लाइन के विरुद्ध जाएंगे?
और जैसा कि माना जा रहा है कि वे निर्दलीय पीलीभीत से ताल ठोंक सकते हैं। इन सब सवालों के जबाव एक -दो रोज में सामने आ जाएंगे।
सपा से घोषित किया प्रत्याशी फिर भी वरुण को ऑफर
पीलीभीत में पहले चरण में 19 अप्रैल को वोटिंग होनी है। यहां नामांकन की आखिरी तारीख 27 मार्च है। यानी, आज से सिर्फ दो दिन बाकी हैं।
बीजेपी ने रविवार की रात यहां से योगी सरकार के मंत्री जितिन प्रसाद को प्रत्याशी बना दिया है। जबकि सपा ने पीलीभीत से भगवत शरण गंगवार को प्रत्याशी बनाया है।
सूत्र बताते हैं कि यहां से यदि बसपा ने प्रत्याशी खड़ा किया तो उसका खामियाजा बीजेपी को ज्यादा भुगतना पड़ सकता है।
एक खबर यह भी चल रही है कि यदि बीजेपी ने पीलीभीत से वरुण गांधी को टिकट नहीं दिया तो वे सपा जॉइन कर सकते हैं।
अखिलेश यादव ने भी वरुण के सपा में आने से जुड़े सवाल पर कहा था कि हमारे दरवाज सभी के लिए खुले हैं।
पीलीभीत से सपा ने भगवंत शरण को प्रत्याशी तो घोषित कर दिया है लेकिन भगवंत ने अब तक नामांकन दाखिल नहीं किया है।
इससे वरुण के बीजेपी से बगावत कर सपा में जाने की संभावाएं बनी हुई हैं। उधर, सपा प्रत्याशी गंगवार ने कहा कि वरुण पार्टी में आते हैं तो वे टिकट छोड़ने को भी तैयार हैं।
वरुण को बीजेपी में 10 साल से कोई जिम्मेदारी नहीं
2013 में वरुण गांधी को बीजेपी का राष्ट्रीय महासचिव नियुक्त किया गया था। इसी साल उन्हें पश्चिम बंगाल में बीजेपी का प्रभारी भी बनाया गया था।
उस वक्त वरुण का उत्तरप्रदेश की सियासत में अच्छा खासा दखल था। वे प्रमुख नेताओं में गिने जाते थे।
योगी आदित्यनाथ से पहले वरुण को नाम उत्तर प्रदेश के सीएम के लिए भी खूब चला था।
इस सबके दौरान 2014 में बीजेपी की नई कार्यकारिणी का गठन हुआ।
इसमें वरुण को जगह नहीं मिली। 10 साल से वरुण को किसी तरह की कोई बड़ी जिम्मेदारी पार्टी में नहीं मिली।
इसकी वजह, उनके सरकार और सिस्टम के खिलाफ दिए गए बयान रहे हैं।
2009 में वरुण राजनीति में आए, 2014 में मां-बेटे की सीट बदली
वरुण गांधी का राजनीतिक प्रवेश एक तरह से 2009 में पीलीभीत से हुआ। पहले लोकसभा चुनाव में ही वरुण ने 2.81 लाख के अंतर से अपने विरोधी को हराया।
इसके बाद 2014 में बीजेपी ने मां-बेटे की सीट बदल दी। यानी, वरुण को सुल्तानपुर और मेनका को पीलीभीत से टिकट दिया।
सुल्तानपुर में भी वरुण ने बड़ी जीत हासिल की। पीलीभीत लोकसभा सीट मेनका और वरुण गांधी का गढ़ मानी जाती है।
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पीलीभीत में 5 विधानसभा सीटें
वहीं, अगर विधानसभा चुनाव की बात की जाए तो पीलीभीत में 5 विधानसभा हैं। इसमें बरखेड़ा, बीसलपुर, पीलीभीत, पूरनपुर, बहेड़ी हैं।
यहां 2022 के चुनाव में बीजेपी ने 4 विधानसभा में सीटों पर जीत दर्ज की थी। इसमें बहेड़ी में सपा ने कब्जा किया।
वहीं, 2017 में सभी 5 विधानसभा में बीजेपी ने जीत हासिल की थी। वहीं, 2012 विधानसभा में स्थिति अलग थी।
तब बीजेपी सिर्फ एक बीसलपुर विधानसभा पर जीत हासिल कर पाई थी। यानी वरुण गांधी ने क्षेत्र में काम किया, जिसके कारण बीजेपी की स्थिति बेहतर हुई। जिसका विधानसभा चुनाव में भी पार्टी को फायदा हुआ।
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बीजेपी क्यों तलाश रही वरुण का विकल्प?
इस सवाल के जवाब में दो तरह की चर्चा सामने आ रही है। पहली चर्चा है कि पार्टी मेनका और वरुण में से किसी एक को टिकट देना चाहती है।
दूसरी चर्चा है कि वरुण गांधी लगातार पार्टी लाइन के बाहर जाकर प्रतिक्रिया देते रहे हैं। किसानों का मुद्दा हो या पेपर लीक केस, उन्होंने सोशल मीडिया से लेकर जनसभा में सरकार पर सवाल उठाए।
एक चर्चा यह भी है कि बीजेपी के कई नेता पीलीभीत से वरुण को टिकट दिए जाने का विरोध भी कर रहे हैं।
हालांकि, वरुण का अब तक का जो सियासी ट्रैक रिकॉर्ड रहा है। उसमें उनको टिकट ना देना आसान नहीं है।
पीलीभीत की स्थानीय राजनीति से जुड़े लोग बताते हैं कि आमतौर पर वरुण काफी अग्रेसिव रहते हैं। लेकिन, पिछले कुछ महीनों से वह शांत है।