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UP News: वाराणसी की 'असि' खतरे में, नदी के जीर्णोद्धार के लिए भूमि संरक्षण विभाग ने जिला अध्यक्ष को सौंपी रिपोर्ट

उत्तर प्रदेश के वाराणसी की असि नदी अपने अस्तित्व को बचाने में जुटी है। सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक, नदी क्षेत्र में घर और औद्योगिक निर्माण किया गया है।

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Vishalakshi Panthi
UP News

(रिपोर्ट- अभिषेक सिंह)

UP News: वरुणा और असि नदी के नाम पर बसी वाराणसी में ही अब असि नदी अपने अस्तित्व को बचाने के लिए जूझ रही है। असि नदी को लेकर भूमि संरक्षण विभाग ने नदी के जीर्णोद्धार की सर्वे रिपोर्ट तैयार कर जिला अधिकारी वाराणसी को भेज दी है। रिपोर्ट में बताया गया है कि चितईपुर बाहरी में नदी के क्षेत्र में निर्माण कार्य कर घर और औद्योगिक क्षेत्र बना लिया गया है। वहां पर नदी की चौड़ाई कुछ जगहों पर मात्र ढाई से तीन मीटर ही बची है। 

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नदी के बहाव क्षेत्र में अतिक्रमण कर लिया गया है। करौंदी,कर्मजीतपुर, नेवादा,सरायनंदन,सुंदरपुर नरियां,साकेत नगर और नगवा में न केवल असि नदी के अंदर निर्माण हुआ बल्कि पास के घरों का कूड़ा भी फेंका जा रहा है। इससे नदी का क्षेत्र सिकुड़ कर काम हो गया है और बदबू से आसपास खड़ा होना भी दूभर हो रहा है। 

उद्गम स्थल पर सिल्ट और गाद जमा

रिपोर्ट की माने तो असि नदी का उद्गम स्थल कंदवा झील से लेकर असि नदी तक के कुल 8 किलोमीटर मार्ग का सर्वेक्षण किया गया। सर्वे के दौरान पाया गया कि उद्गम स्थल पर सिल्ट और गाद जमा हो जाने की वजह से अपवाह क्षेत्र का जल संरक्षण करने की क्षमता समाप्त हो गई है। उद्गम स्थल पर नदी अवशिष्ट दशा में आ गई है, आगे चलने पर नदी में घरों और रियासी क्षेत्र का अपशिष्ट और प्रदूषित जल मिलना शुरू हो गया है। 

उद्गम से 1 किलोमीटर आगे तक दो प्राचीन समय के बने हुए तालाब हैं। उनमें गंदा प्रदूषित जल पाया गया जो अब जलमग्न भूमि के रूप में बचा है। इसके चलते नदी का क्षेत्र सिकुड़ कर कम हो गया और बदबू के किनारे खड़ा होना भी मुश्किल हो गया रहा है। इतना ही नहीं क्षेत्र के निवासी इस नदी को अब नाला के नाम से संबोधित करते हैं।

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विभाग ने दिए ये सुझाव 

भूमि संरक्षण विभाग ने सुझाव देते हुए कहा कि सबसे पहले उद्गम स्थल के जीर्णोद्धार की जरूरत है। अतिक्रमण किए गए निर्माण को हटाने की जरूरत है। असि नदी का पूरा क्षेत्र नगर निगम में आता है। बिना अतिक्रमण हटाए वर्तमान स्थिति में नदी का जीर्णोद्धार कार्य करना संभव नहीं है। बता दें कि पिछले महीने डीएम ने एक बैठक में विभाग से असि नदी के जीर्णोद्धार करने के लिहाज से भूमि संरक्षण अधिकारी से रिपोर्ट मांगी थी।

अधिकारी कर चुके हैं मौका-मुआयना 

पिछले साल जुलाई से पहले असि नदी को मुक्त करने की योजना के तहत कंदवा से कंचनपुर तालाब तक अधिकारियों ने मुआयना किया था और अतिक्रमण हटाने का खाका भी तैयार किया था। बाढ़ के पहले ही अतिक्रमण मुक्त करने का आदेश दिया गया था, लेकिन अगस्त से लेकर नवंबर के बीच धार्मिक आयोजन और त्योहारों के चलते इस पर ध्यान नहीं दिया गया। कंदवा से असि घाट तक नदी अब पूरी तरह से नाला में तब्दील हो चुका है।

2019 में एनजीटी ने दिया था आदेश 

राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण यानी एनजीटी की निगरानी समिति ने 2019 में असि नदी के किनारे प्रस्तावित हरित पट्टी को धरातल पर लाने का आदेश दिया था। इसके बाद भी असि नदी के किनारे निर्माण हो रहा हैस नदी में मलबा डाला जा रहा है, घरों का गंदा पानी भी बह रहा है। असि नदी के किनारे मकान, अस्पताल, होटल, अपार्टमेंट बन रहे हैं। अब तक ना अतिक्रमण हटा और ना ही अतिक्रमण करने वालों के खिलाफ कोई कार्रवाई हुई। इसकी वजह से अतिक्रमण करने वाले बेखौफ होकर अभी भी निर्माण कर रहे हैं।

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