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Kundli Vam Dakshin Kuksho: हर बच्चे की जन्म कुंडली में लिखे होते हैं ये दो शब्द, क्या आप जानते हैं इसका मतलब और संकेत

Vam-Dakshin Kuksho in Kundli: कुंडली में वाम कुक्षो और दक्षिण कुक्षौ का क्या मतलब होता है, इसका आयुर्वेद में क्या उल्लेख मिलता है। क्या इसका पुत्र और पुत्री से कोई संबंध है। Janam kundli Sanket These two words are written in the janam kundli of every child, know its meaning and signs jyotish in hindi pds

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Preeti Dwivedi
Kundli Vam Dakshin Kuksho: हर बच्चे की जन्म कुंडली में लिखे होते हैं ये दो शब्द, क्या आप जानते हैं इसका मतलब और संकेत

Vam-Dakshin Kuksho in Kundli: ज्योतिष शास्त्र में कई ऐसी विधाएं और उनका गणित है जिसका संबंध कहीं न कहीं विज्ञान से भी है। आज ज्योतिष में हम बात करेंगे ​बच्चे की जन्म कुंडली (Janam kundli Sanket) में लिखे कुछ खास शब्दों की। ये शब्द कुछ संदेश देते हैं।

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चलिए जानते हैं क्या हैं इन दो शब्दों के संकेत, जो हर बच्चे की कुंडली (Kundli Jyotish) V में लिखे होत हैं। साथ ही जानेंगे क्या है इनका मतलब।

कुंडली में दक्षिण कुक्षो और वाम कुक्षो का क्या मतलब होता है

अगर आप भी अपनी बच्चे की कुंडली (Baby Kundli) देखेंगे तो आपको उसमें सबसे टॉप पर दक्षिण कुक्षो (Dakshin Kuksho) और वाम कुक्षो (Vam Kuksho) लिखा दिखाई देगा। पर क्या आप जानते हैं इसका क्या अर्थ होता है। यदि नहीं तो चलिए आज हम आपको बताते हैं।

दरअसल कुंडली में लिखे इन दो शब्दों का अर्थ संतान के लिंग से संबंधित होता है। जब कुंडली में बच्चे के नाम के बाजू में दक्षिण कुक्षो लिखा होता है पुत्री से होता है।

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आयुर्वेद में है इसका उल्लेख

हमारे आयुर्वेद में वाम कुक्षो और दक्षिण कुक्षौ का भी एक साइंटिफिक रीजन है। आयुर्वेद के अनुसार जब वाम कुक्षो का उपयोग किया जाता है।

इसका अर्थ यह आयुर्वेद में वर्णित एक उक्ति दक्षिण: कुक्षौ पुत्रम् जीजनत् वाम कुक्षौ पुत्रीम् जीजनत्, के आधार पर किया गया। इस उक्ति का अर्थ है कि दायीं ओर से निक्षेपित अंड से पुत्र तथा बायीं ओर के अंड से पुत्री का निर्माण होता है।

[caption id="attachment_341515" align="alignnone" width="689"]janam kundli sanket janam kundli sanket[/caption]

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कुंडली के संकेतों पर प्राणी विज्ञान विभाग में शोध

ज्योतिषाचार्य पंडित अनिल पांडे के अनुसार इसी बात को जबलपुर के रानी दुर्गावती विश्‍वविद्यालय (Rani Durgavati University) के एमजी महिला महाविद्यालय के प्राणी विज्ञान विभाग (zoology department) से अंकिता बोहरे का शोधपत्र भी शामिल किया गया था।

उन्‍होंने अपने शोधपत्र में लिखा था कि आज के आधुनिक विज्ञान के युग में प्राचीन विचारकों तथा वैज्ञानिकों एवं आयुर्वेद के द्वारा प्रतिपादित सिद्धांतों को पुष्ट करने के लिए हमें उन पर तथ्यात्मक विचार करना होगा।

आधुनिक विज्ञान कहता है कि मानव प्रजनन में स्‍त्री और पुरूष के परस्‍पर समान भागिदारिता है। लिंग निर्धारण के लिए मात्र पुरूष ही नहीं, महिला भी उतनी ही उत्‍तरदायी है। इसके लिए उन्होंने उपरोक्त आयुर्वेद के सिद्धांत को बताया था।

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इस उक्ति के सत्‍यापन के लिए यूजीसी (UGC) के अंतर्गत एक रिसर्च प्रोजेक्‍ट शासकीय मेडिकल कॉलेज में संपन्‍न किया गया, जिसमें 84 प्रतिशत सफलता मिली। इस शोध कार्य में गाइनोकोलोजिस्‍ट तथा रेडियोलोजिस्‍ट की टीम ने मिलकर कार्य किया तथा सभी महिलाओं का सोनोग्राफिक परीक्षण किया गया।

इस प्रोजेक्‍ट की सफलता से यह सत्‍यापित हुआ कि महिला के दाएं अंडाशय से उत्‍पन्‍न होनेवाला अंड काफी सीमा तक पुरूष लिंग निर्मित करने के लिए सूचनाबद्ध होते हैं। इस धारणा को जैव रसायनिक आधार देने की भी कोशिश की जा रही थी। यह सत्‍यापन मानव प्रजनन की तथा आनुवंशिकी में नए सोपान निर्घारित कर सकता था।

इस सफलता के बाद इस दिशा में अधिक रिसर्च के लिए सरकार की ओर से आगे कोई प्रयास नहीं हुए।

सिद्ध हुआ आयुर्वेद (Ayurveda) का ज्ञान

इस प्रकार उपरोक्त बातों से ये बात स्पष्ट हो जाती है कि महिला के दाएं अंडाशय से उत्पन्न होने वाले अंड से जन्म लेने वाला बच्चा पुरुष होता है और बायें अंडाशय से उत्पन्न होने वाले अंड से पैदा होने वाला बच्चा स्त्रीलिंग होती है। आयुर्वेद (Ayurveda) के इसी सिद्धांत के कारण कुंडली में बालक के लिए दक्षिणः कुक्षो और बालिका के लिए वाम कुक्षो शब्दों का प्रयोग किया जाता है।

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